भारत के लाल बन,
दुश्मनों का काल बन।
देश में तू नाम कर,
सदा आगे बढ़ कर।।
हौंसला बनाए रख,
जीत का तू स्वाद चख।
नया इतिहास लिख,
जीवन में पढ़कर।।
रोज तू सबेरे उठ,
बात तू समझ गूढ़।
आलस से दूर रह,
शिखर पर चढ़ कर।।
सबसे ही प्रेम कर,
रह तू सदा निडर।
इसे अपनाओ तुम,
जीवन में मढ़ कर।।
(हरिहरण घनाक्षरी-८,८,८,८ वर्ण क्रम से ३२ वर्ण प्रति चरण पर कुल ४चरण, चरणान्त २ लघु सभी चरणों में नियत)
#बिनोद कुमार ‘हंसौड़ा’
परिचय : बिनोद कुमार ‘हंसौड़ा’ का जन्म १९६९ का है। आप दरभंगा (बिहार)में प्रधान शिक्षक हैं। शैक्षिक योग्यता दोहरा एमए(इतिहास एवं शिक्षा)सहित बीटी,बीएड और प्रभाकर (संगीत)है। आपके नाम-बंटवारा (नाटक),तिरंगा झुकने नहीं देंगे, व्यवहार चालीसा और मेरी सांसें तेरा जीवन आदि पुस्तकें हैं। आपको राष्ट्रभाषा गौरव(मानद उपाधि, इलाहाबाद)सहित महाकवि विद्यापति साहित्य शिखर सम्मान (मानद उपाधि) और बेहतरीन शिक्षक हेतु स्वर्ण पदक सम्मान भी मिला है। साथ ही अनेक मंचो से भी सम्मानित हो चुके हैं