महक जाये चमन सारा इबादत कौन करता है
खुदा तुझसे अंधेरे की शिकायत कौन करता है
ज़हन में फिक्र है लोगों को बस अपने ही दामन की
यहाँ गैरों के दामन की हिफाज़त कौन करता है
जहाँ देखा वहाँ रिश्तो में बस नफरत ही नफरत है
ये रिश्ते हैं महज रस्मन मुहब्बत कौन करता है
लुटा देते हैं दौलत हम जमाने भर के फैशन में
किसी मुफ़लिस पे रोटी की इनायत कौन करता है
सभी नेताओं का मकसद तो कुर्सी को बचाना है
तरक्की मुल्क़ की हो वो हुकूमत कौन करता है
सुरभि जैन,
भादसोड़ा, चित्तौड़गढ़
परिचय-
कवि सम्मेलनों के मंच की सुप्रसिद्ध कवियत्री जो शृंगार रस में अपना काव्य पाठ करती है।