विविध भाषा की प्रखरता ज्ञान का बहुमान है ।
हिन्दी ही हिन्दोस्तां की कलम का सम्मान है ।।
माना अंग्रेजी को हमने विकास का पर्याय है
आधुनिकता का यह प्रमुख प्रथम अध्याय है
दिलों को जो जोडे़ वो हिन्दी हमारी जान है
हिन्दी ही हिन्दोस्तां की कलम का सम्मान है ।
उर्दू भाषा में अदब की गजब की ये शक्ति है
शब्द के हर भाव में नमन की अभिव्यक्ति है
माँ भारती के माथे का तिलक हमारी शान है
हिन्दी ही हिन्दोस्तां की कलम का सम्मान है ।
हिन्दी ही तो आन बान और हमारी शान है
हर शब्द और हर सांस में भारत की प्राण है
जन की भाषा मन की भाषा और सर्वज्ञान है
हिन्दी ही हिन्दोस्तां की कलम का सम्मान है ।
विविध भाषा की प्रखरता ज्ञान का बहुमान है ।
हिन्दी ही हिन्दोस्तां की कलम का सम्मान है ।।
नाम – जैन कवि धर्मेन्द्र बंम
शिक्षा – इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा
सर्विस – ग्रेसिम इंडस्ट्रीज लिमिटेड में प्रोसेस इंजीनियर
सामाजिक सहभागिता –
उपाध्यक्ष – जैन सोश्यल ग्रुप, नागदा
सचिव – श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा
संयोजक – जय जिनेन्द्र काव्य पुष्प माला
सचिव – मंत्रणा साहित्यिक संस्था
काव्य परिचय –
मिश्र विधा : गीतकार एवं मंच संचालक
आकाशवाणी इन्दौर में काव्य पाठ करने का दो बार सौभाग्य प्राप्त, सामाजिक जागरूकता विषयों पर संदेश प्रधान एवं देश प्रेम पर काव्य सृजन करना जिनमें कहीं न कहीं जैन दर्शन अवश्य दृष्टिगोचर होता है।
पता – बिरलाग्राम नागदा
जिला उज्जैन (म प्र) ।