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1…
घूंधट पर्दा री प्रथा, समय काल अनुसार।
देश अजादी मिल चुकी,अब बदलाव बयार।।
2…..
परदेशी निजराँ बचै, बिटिया बहू हमारि।
लाज शर्म बड़काँन की,घूँघट माहि सँभारि।।
3…..♀
जे पढ़लिख जावै नारियाँ,प्रगतिअवसर पाय।
राजनीति अरु नौकरी, बणिज देखती जाय।।
4…..
अब तो घूँघट छोड़कर,करो विकासी बात।
लाज शर्म आँख्यान की, घूँघट तो आघात।।
5…..
करो नौकरी ठाठ सूँ राजनीति व्यौपार।
मर्यादा पालन करो, सदाचार व्यौहार।।
6…..
बेटी संग में बींदणी, पढ़बा लिखबा जाय।
स्कूटी या साईकिलाँ, खुद ही लेव चलाय।।
7…..♀
मोटर कार चलाण रो, खूब हुयो अभ्यास।
घूँघट मैं रहताँ कियाँ, करती सबै प्रयास।।
8…..
छोड़ सकै नही रीत तो,कम सूँ कम कर लेव।
सत मरयादा राखताँ, बदलो घूँघट टेव।।
9…..♀
दुनिया आकाशाँ चढ़ै, चन्दा पै घर लेय।
आपाँ घूँघट काढ़ कर, काँई नतीजो देय।।
10….♀♀
प्रतियोगी युग चालतो, नहीं बोदाँ को सीर।
बढ़ आगै तैयार व्है, छोड़ो घूँघट पीर।।
11……
महिलाँ खूब विकास हो,शिक्षित हो बहु,सास
शरमा बाबू लाल री , सबसूँ या अरदास।।
नाम– बाबू लाल शर्मा
साहित्यिक उपनाम- बौहरा
जन्म स्थान – सिकन्दरा, दौसा(राज.)
वर्तमान पता- सिकन्दरा, दौसा (राज.)
राज्य- राजस्थान
शिक्षा-M.A, B.ED.
कार्यक्षेत्र- व.अध्यापक,राजकीय सेवा
सामाजिक क्षेत्र- बेटी बचाओ ..बेटी पढाओ अभियान,सामाजिक सुधार
लेखन विधा -कविता, कहानी,उपन्यास,दोहे
सम्मान-शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र मे पुरस्कृत
अन्य उपलब्धियाँ- स्वैच्छिक.. बेटी बचाओ.. बेटी पढाओ अभियान
लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः