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सुबह हो शाम हो,दिन हो या रात हो,
आओ मेहनत मिलकर करें।
एक नया मुकाम हासिल करें,
एक नया मुकाम हासिल करें॥
काम की होड़ में दौड़कर देखिए,
कामचोरी को तभी छोड़कर देखिए।
मेहनत और लगन की तुम दो एक मिसाल,
इसमें खुद को डूबोकर तुम देखिए॥
तुम अगर साथ दो,हाथों में हाथ दो,
सारी दुनिया को पीछे छोड़ दें।
एक नया मुकाम हासिल करें,
एक नया मुकाम हासिल करें॥
काम करने कोई न होता है वक्त,
जब भी जी चाहे इसे करो तुम सब।
सिर्फ दो अंक का प्रश्न हल को मिला,
जोड़ करना था हमने दिया है घटा।
एक अंक हम हैं,एक अंक तुम हो,
आओ दोनों यूं जोड़ दें।
एक नया मुकाम हासिल करें,
एक नया मुकाम हासिल करें॥
मेहनत और लगन की हम शादी करें,
संग रहने का इनको आदी करें।
अब न होंगे एक-दूसरे से हम यूं अलग,
सारी कर्मशाला में ये मुनादी करें।
हमने जितना देखा,बस उतना लिखा,
अब ये पन्ना यही मोड़ दें।
एक नया मुकाम हासिल करें,
एक नया मुकाम हासिल करें॥
सुबह हो शाम हो,दिन हो या रात हो,
आओ मेहनत मिलकर करें।
एक नया मुकाम हासिल करें।
एक नया मुकाम हासिल करें॥
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।
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