सपनो के पंख लगाकर
उडता फिरू जहाँ तहाँ
कोई कैसे देखे सुनहले दिन
कोसते रहते सपनो को कहाँ कहाँ।
जब भी कोई सपना देखू
लगता है प्यारी प्यारी
खो जाता हूँ उन सपनो में
भले ही पूरे न हो सारी।
खट्टे मीठे अनुभवो का
एहसास है ये सपने हमारी
कुछ तो गौर करना होता
जब दस्तक दे यह प्यारी प्यारी।
“आशुतोष”
नाम। – आशुतोष कुमार
साहित्यक उपनाम – आशुतोष
जन्मतिथि – 30/101973
वर्तमान पता – 113/77बी
शास्त्रीनगर
पटना 23 बिहार
कार्यक्षेत्र – जाॅब
शिक्षा – ऑनर्स अर्थशास्त्र
मोबाइलव्हाट्स एप – 9852842667
प्रकाशन – नगण्य
सम्मान। – नगण्य
अन्य उलब्धि – कभ्प्यूटर आपरेटर
टीवी टेक्नीशियन
लेखन का उद्द्श्य – सामाजिक जागृति