अनुशासन सभ्यता की वह आकृति है। जिसमें अपने-आप पर नियंत्रण करना है। अपने-आप को नियमबद्ध श्रृंखला में पिरोना है। जबकि लाॅकडाउन महामारी से स्वयं के बचने एवं दूसरों को बचाने हेतु प्रयोग में लाया गया है।
क्योंकि अनुशासन जीवन और राष्ट्र के वर्तमान एवं भविष्य को सदृढ़ करने के लिए सिखाया जाता है। जिसमें संवरने-संवारने से लेकर साकारात्मक दृष्टिकोण को सशक्त किया जाता है।उसी प्रकार लाॅकडाउन का मुख्य उद्देश्य भी देश के नागरिकों को कोरोना महामारी से बचाने के लिए प्रयोग किया गया है। ताकि महामारी एक से अनेक में न फैले। जिसके लिए समाजिक दूरी को भी विशेष महत्व दिया गया। संगरोधक केंद्रों की भी भूमिका अच्छी रही। जिसे विशेष अनुशासनात्मक कार्रवाई की संज्ञा दी गई।
अनुशासन विहीन कुटुंब, समाज और राष्ट्र न तो विकासशील हो सकता है और ना ही अधिक समय तक संयुक्त व स्वतंत्र रह सकता है। लाॅकडाउन ने भी एकता, संयुक्ता, सदृढ़ता एवं लोकप्रिय माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी के नेतृत्व में निष्ठा दिखाई है। जिससे भारत की प्रशंसा विश्वस्तर पर हुई है।
इसलिए निस्संदेह कोरोना महामारी का लाॅकडाउन अनुशासन जैसा ही साबित हुआ है।