मेरा सब कुछ मधुकर परिवार, गुरुवर आ जाओ एक बार,
मधुकर आ जाओ,गुरु आ जाओ.. गुरु आ जाओ एक बार।
मेरी नैया पार लगा जाओ,मेरी बिगड़ी बात बना जाओ,
नित ह्रदय करे पुकार,मधुकर आ जाओ एक बार…
मेरा सब कुछ मधुकर परिवार,गुरुवर आ जाओ एक बार…l
लाखों को दरश दिखाया है,गुरुवर मुझको क्यों बिसराया है,
ये कैसी आपकी माया है,नित बहती अँसुवन की धार…
मधुकर आ जाओ,गुरु आ जाओ.. गुरु आ जाओ एक बार…l
जब याद तुम्हारी आती है,तन-मन की सुध बिसराती है,
रह-रहकर मुझे तड़पाती है,तन-मन-धन सब दूँ वार…
मधुकर आ जाओ,गुरु आ जाओ..गुरु आ जाओ एक बार…l
पेपराल की धरती करे है पुकार,भाण्डवपुर से बिछड़े मेरे सरकार,
`अर्पण` तड़प रहा है आज,गुरु आ जाओ एक बार..
तुम से बिछड़े जैसे युग बीत गए,मुझसे मधुकर क्यों रूठ गए..
मैं हार गया, तुम जीत गए,अब दर्शन दो साकार…
मधुकर आ जाओ,गुरु आ जाओ..गुरु आ जाओ एक बार…l
संघ कर रहा है पुकार,गुरुवर आ जाओ एक बार,
मेरा सब कुछ मधुकर परिवार,गुरुवर आ जाओ एक बार
मधुकर आ जाओ,गुरु आ जाओ..गुरु आ जाओ एक बार…l
अर्पण जैन ‘अविचल’
गुरुदेव जयन्तसेन सुरिश्वर जी हमें छोड़ कर चले गए,
बीन आपके संघ सुना सुना लग रहा है,
गुरुवर आ जाओ एक बार…
मेरे ह्रदय के उदगार….. गीत लिखने का प्रयास है…. आशा है पसंद आएगा…
परिचय : अर्पण जैन ‘अविचल’ खबर हलचल न्यूज के संपादक है और पत्रकार होने के साथ साथ , शायर और स्तंभकार भी हैं| भारतीय पत्रकारीता पर शोध कर रहे हैं जैन ने ‘आंचलिक पत्रकारों पर एक पुस्तक भी लिखी हैं | अविचल ने अपने कविताओं के माध्यम से समाज में स्त्री की पीड़ा, परिवेश का साहस और व्यवस्थाओं के खिलाफ तंज़ को बखूबी उकेरा हैं और आलेखों में ज़्यादातर पत्रकारिता के आधार आंचलिक पत्रकारिता को ज़्यादा लिखा हैं | मध्यप्रदेश के धार जिले की कुक्षी तहसील में पले-बड़े और इंदौर को अपना कर्म क्षेत्र बनाया | बेचलर आफ इंजीनियरिंग (कंप्यूटर साइंस) से करने के बाद एमबीए और एम जे की डिग्री हासिल की | कई पत्रकार संगठनों के राष्ट्रीय स्तर की ज़िम्मेदारियों से नवाज़े जा चुके अर्पण जैन ‘अविचल’ भारत के २१ राज्यों में अपनी टीम का संचालन कर रहे हैं | भारत का पहला पत्रकारों के लिए बनाया गया सोशल नेटवर्क और पत्रकारिता का विकीपेडीया www.IndianReporters.com” भी जैन द्वारा ही संचालित किया जा रहा है|