देखकर आपकी तस्वीर
दिल बैचैन हो उठा।
लगा आँखो से एक तीर
दिलको घायल कर गया।
जो भी देखते होंगे तुम्हें
दिवाने वो हो जाते होंगे।
और ख्यालो में वो सब
न जाने क्या-२ सोचते होंगे।।
बहुत गहराई है तुम्हारी
प्यारी प्यारीआँखो में।
और बहुत कुछ बाते है
तुम्हारे प्यारे प्यारे होंठ में।
बहुत ही फुर्सत में तुम्हें
उस विधाता ने बनाया है।
तभी तो विश्वामित्र को भी
उसी विद्याता ने बनाने है।।
बहुत तेजस्वी चेहरा है
जो हर दिलको लुभाता है।
हिमालायल की वादियों में
मोहब्बत करने को बुलाता है।
आँखो की नर्मियो से
होठों की गर्मियों से।
चाय के बागानो में
बहुत कुछ दिल कहता है।।
बड़े ही किस्मत वाले
होते होंगे वो लोग।
जिस पर आप की
नजरे इनायत होती होंगी।
संभल भी नहीं पाते होंगे
जब नजरे तुमसे मिली होंगी।
कही के भी उस समय
वो नहीं रहे होंगे जी।।
कयामत बहुत ढाती हो
तुम अपने इस हुस्न से।
बहुतो को तुमने अबतक
बीमार कर दिया है।
निकलती जब भी हो
तुम अपने घर से बहार।
तो दिल थामकर लोग
बैठते होंगे तुम्हें देखने को।।
जय जिनेंद्र देव की
संजय जैन (मुंबई)