गरजत ‘गगन’ मद में हैं मेघा,
लरजत मन पुलकित सस्नेहा,
तरस रहा तन पी संग नेहा,
बाहुपाश, रति, मधुमास विशेषा,
कौंध रही है तड़ित दामिनी,
जाग रही मंत्रमुग्ध यामिनी,
संवर रही है धरती मानो,
सुहाग सेज चिरप्रतीक्षित बेला,
मचल रही उन्मादित ‘अगन’ मंद,
अम्बर लिख रहा बूंदों संग प्रेमग्रंथ,
प्रीति की ‘लगन’ में मगन हैं दोनों,
है सृष्टि उर्वरा, उत्प्रेरक हैं घन……
नाम- श्रीमती मनीषा नेमा
वर्तमान पता-थाणे
राज्य-महाराष्ट्र
शहर-थाणे
शिक्षा- पोस्ट ग्रेजुएट (वनस्पतिशास्त्र)
कार्यक्षेत्र- ट्रांसलेटर (इंग्लिश<>हिंदी)
विधा -दोहा, मुक्तक, छंदमुक्त, हाइकु, सेदोका,चोका, लेख, समसामयिक विषय गद्य
प्रकाशन- वर्तमान अंकुर, पत्रिका काव्य स्पंदन, दैनिक भास्कर,
सम्मान-सर्वश्रेष्ठ लेखन के लिए ऑनलाइन प्रशस्तिपत्र विभिन्न समूहों से, शब्द श्री, काव्य प्रत्यूषा, आदि
अन्य उपलब्धियाँ-………शिक्षिका रह चुकी हूँ, कम्प्युटर प्रशिक्षक, ट्रांसलेटर
लेखन का उद्देश्य-अपने मन के भाव लिखना, समाज में बदलाव लाना
एक मौलिक रचना-शीर्षक सहित कविता क्या है?