क्यों आए तुम,क्यों तुम चले गए,
एक एहसास कुछ नया-सा दे गए।
सपना कहूं या सुगन्ध जो दे गए,
पर सही है कि कुछ नया-सा दे गएl
देते-देते कुछ अपने साथ भी ले गएll
क्यों आए तुम,क्यों तुम चले गए,
नियंत्रण नहीं है उस एहसास के बाद
करवटें भी कमजोर हो गई सोने के बाद,
सपने भी खो गए इस मुकाम के बादl
रास्ते ही रुक गए इस एहसास के बादll
क्यों आए तुम,क्यों तुम चले गए,
आगे चलने से अब डर लगने लगा हैl
सोचने से सोचना अब दूर होने लगा है,
कुछ समझाना अब मुश्किल होने लगा हैl
खुद की खता का एज़ाज होने लगा हैll
क्यों आए तुम,क्यों तुम चले गए,
लगता है कि सूरज-चाँद भी कहीं सो गएl
मुकाम पर पहुँचने के रास्ते भी खो गए,
सलामत रहने का इलाज भी ले गएl मलाल है कि,साथ मंजिल भी ले गएll
परिचय : सहायक प्राध्यापक (पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान) डॉ. किशोर जॉन मध्यप्रदेश के इंदौर में ही रहते हैंl वर्तमान में विशेष कर्त्तव्य अधिकारी के पद पर अतिरिक्त संचालक(उच्च शिक्षा विभाग,इंदौर संभाग) कार्यालय में इंदौर में पदस्थ हैंl पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान सहित वाणिज्य एवं व्यवसाय प्रबंध में आप स्नातकोत्तर हैंl आपको 23 वर्ष का शैक्षणिक एवं प्रशासकीय अनुभव है तो, राष्ट्रीय-अन्तराष्ट्रीय स्तर पर 30 से अधिक शोध-पत्र प्रस्तुत एवं प्रकाशित किए हैं, एवं 3 पुस्तकों के सम्पादक भी रहे हैंl