सुदीर्घ राजनीतिज्ञ: भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के ‘गठ’ से निकला एक स्वयंसेवक भाजपा का विस्तारित ‘गठन’ भी करेगा और सरकार के मुख्य दल का अध्यक्ष होने के नाते ‘गठबंधन’ धर्म का पालन भी करेगा। इस बात का साक्षी आने वाला समय बनेगा। यह भविष्यवाणी अब चरितार्थ हो गई जब जगत प्रकाश नड्डा विश्व की सबसे बड़ी राजनैतिक पार्टी भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष सर्वसमत निर्वाचित हो गए। सामान्य कार्यकर्ता से राष्ट्रीय अध्यक्ष पद तक आसीन होना इनके त्याग, समर्पण व कर्तव्यनिष्ठा का परिचायक है। मृदुभाषी व सबको साथ लेकर चलने वाले समर्पित कार्यकर्ता श्री नड्डा की कर्मभूमि हिमाचल प्रदेश है मगर उनका अनुभव संपूर्ण राष्ट्र का है। इसी कार्यक्षेमता से राष्ट्रवाद की विचारधारा वाली भारतीय जनता पार्टी आपके कुशल मार्गदर्शन में नए कीर्तिमान बनाते हुए नई ऊँचाइयों को छुएगी ऐसी पूरी उम्मीद है। कार्यकर्ता ही नींव, कार्यकर्ता ही नेतृत्व के हिमायती और सुदीर्घ राजनीतिज्ञ के अनुभव से संगठन को नई ताकत मिलेगी।

सौम्य व्यक्तित्व, दक्ष रणनीतिकार, कुशल संगठनकर्ता भाजपा के 11वें जगत प्रकाश नड्डा राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यकाल जनवरी 2023 तक रहेगा। भाजपा का अध्यक्ष पद संभालने वाले जेपी नड्डा स्वभाव से सहज हैं। सौम्यता इतनी कि नाराज व्यक्ति भी खुशी-खुशी ही वापस जाता है और प्रभावित हुए बगैर नहीं रहता। संगठन में माहिर माने जाते हैं। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में 13 साल तक काम किया इसलिए कार्य का दायरा बहुत बड़ा है। चुनाव प्रभारी रहते हुए 2019 में उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में बसपा और सपा के गठबंधन को मात देकर भाजपा को जीत दिलाई। 2019 के लोकसभा चुनाव में पहले से ज्यादा बहुमत से वापसी करवाने में भी नड्डा की अहम भूमिका मानी जाती है। संघ के करीबी और मोदी-शाह की पसंद है।

श्री नड्‌डा का चयन संगठन क्षमता और सामाजिक समीकरण को ध्यान में रखते हुए बारीक विश्लेषण के आधार पर किया गया। संघ सामाजिक समरसता की बात करता है, भाजपा चुनावी लिहाज से सोशल इंजीनयरिंग की। नड्डा दोनों में फिट हैं। संघ और मोदी-शाह की नजर लोकसभा चुनाव के समय ही नड्डा पर थी। शाह की टीम में सिर्फ नड्‌डा ही ऐसे महासचिव थे, जो संगठन के पदों पर क्रमानुगत तरीके से बढ़े हैं। लिहाजा, बिहार की राजधानी पटना के भिखना पहाड़ी में 2 दिसंबर 1960 को जन्में श्री नड्डा के पिता पटना यूनिवर्सिटी में वाइस चांसलर थे और यहीं पर नड्डा पहली पार छात्र संगठन के सचिव बने। जेपी आंदोलन के समय राजनीति में आए और बाद में एबीवीपी से जुड़े। इसके बाद उनका राजनीतिक कैरियर लगतार उफान पर रहा।

दरअसल, जेपी नड्डा ने एलएलबी की डिग्री हिमाचल यूनिवर्सिटी से ली और यहां 1983-84 में अध्यक्ष बने। फिर, एबीवीपी के संगठन मत्री बने और 1991-1993 में भाजयुमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बने। 1993 में पहली बार हिमाचल से विधायक चुने गए। 1994-98 तक विधानसभा में पार्टी के नेता रहे। 1998 में दोबारा विधायक चुने गए और उन्हें प्रदेश में स्वाथ्य और संसदीय मामलों का मंत्री बनाया गया। 2007 में फिर चुनाव जीते और प्रेम कुमार धूमल सरकार में मंत्री बने। 2010 में धूमल सरकार से मंत्री पद से इस्तीफा देकर उन्हें नितिन गडकरी की टीम में राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया। नितिन गडकरी, राजनाथ और अमित शाह की टीम में उन्हें महासचिव के रूप में रखा गया। 2012 में वे राज्यसभा के लिए चुने गए और शाह ने अपनी टीम में संसदीय बोर्ड का सचिव भी बनाया। मोदी सरकार के पहले फेरबदल में वे स्वास्थ्य मंत्री बने। 19 जून 2019 को लोकसभा चुनाव के बाद उन्हें भाजपा का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया और अब राष्ट्रीय अध्यक्ष।

यह महत्ती जवाबदेही मिलने के बाद जगत प्रकाश नड्डा के कांधों पर और अधि‍क भार आ गया कि भाजपा के विजय रथ को कैसे आगे बढ़ाया जाए। इतना ही नहीं अभी महज देश की कुल आबादी के 10 फीसद लोगों तक पैठ बना चुकी पार्टी को 50 फीसद तक पहुंचाए जाने का लक्ष्य को कार्यकर्ताओं के बल पर सफलता पूर्वक हासिल करना। जैसे अनेकों संगठनात्मक मुद्दों के साथ सरकार के नीतिगत फैसलों में आमजन की स्वीकारिता बढ़ाना। ताकि सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास सत्ता, संगठन और जन-जन पर बना रहे है। यही कर्मपथ नवागत राष्ट्रीय अध्यक्ष के नेतृत्व में भाजपा को निसंदेह सर्वग्राही और सर्वस्पर्शी बनाएंगा।

     # हेमेन्द्र क्षीरसागर, पत्रकार, लेखक व विचारक  

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