भाईचारा,दर्द,मुहब्बत बिकता है ईमान मियाँ।
दुनिया के बाज़ार में तुम भी बन जाओ सामान मियाँ।।
गैरों को भी अपनाने का हुनर सीखना पड़ता है।
मुश्किल बड़ा फरिश्ता बनना, बन जाओ इंसान मियाँ।।
आवाज़ों के इस जंगल में भीतर का स्वर सुनना है।
आँखें बंद भले हों,लेकिन रखो खोलकर कान मियाँ।।
सुबह-सुबह भोले चेहरे पर हंसी देख ली वच्चे की।
मिल जाएंगे मंदिर,मस्जिद,गीता और कुरान मियाँ।।
मयखानों में हम मस्तों को देख शेख क्यों ललचाते।
भीतर आओ, पा जाओगे जीने का सामान मियाँ।।
जितना चाहो इसे सँवारो जितने चाहो रंग भरो।
झेल न पाएगा हल्का-सा झोंका,एक मकान मियाँ।।
बड़ा नाम था मिलने पहुंचे,जाकर वस इतना देखा।
बड़ी दुकान सजा रक्खी थी,फीके थे पकवान मियाँ।।
आवारा बादल-सा इक दिन साथ छोड़ उड़ जाएगा।
साथ चाहते हो तो, रखना ‘यायावर’ का ध्यान मियाँ।।
#डॉ.रामस्नेही लाल शर्मा ‘यायावर’
परिचय : डॉ.रामस्नेही लाल शर्मा ‘यायावर’ का जन्म फिरोजाबाद जनपद के गाँव तिलोकपुर में हुआ है। एमए,पीएचडी सहित डी.लिट्. की उपाधि आपने प्राप्त की है। मौलिक कृतियों में २७ आपके नाम हैं तो ११० में लेखन सहभागिता है। सम्पादन में भी १२ में आपकी सहभागिता है,जबकि आकाशवाणी के दिल्ली, मथुरा,आगरा व जबलपुर केन्द्रों से रचना प्रसारण हुआ है। राष्ट्रभाषा के प्रचार-प्रसार के लिए आपने नेपाल,बहरीन,सिंगापुर,दुबई,हांगकांगऔर मकाऊ आदि की वेदेश यात्रा की है। साथ ही विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से एमेरिटस फैलो चयनित रहे हैं। आप नवगीत कोष के लिए शोधरत हैं तो अभा गीत व कहानी प्रतियोगिता में आपकी रचनाएँ प्रथम रही हैं। आपके निर्देशन में ४१ विद्यार्थियों ने शोध उपाधि पाई है। इतना ही नहीं,डॉ. यायावर के साहित्य पर ३ पीएचडी और ५ लघुशोध हो चुके हैं। आपका निवास फ़िरोज़ाबाद में ही है।