आज तक याद है,
वो मीठा स्पर्श तेरा..
नव-यौवना संकुचित-सी,
दुल्हन बन आई
नया घर,नए लोग,
नया परिचय तुम्हारा।।
अब तक मां-बाबा,भाई-बहन से ही पाया स्नेहिल स्पर्श,
ये नया-सा अहसास तेरी छुअन का, हाथों में हाथ लेकर मानो कह रहे हों..
आओ संगिनी स्वागत है,
मेरे हृदय-कुंज में,
जी लें हम इस मधुर पल को,
बना दें अमिट इस मौन रात्री को।।
कितने झंझावत सहे जीवन में,
चाहत में तुम्हारी सब भूल-सी जाती..
वो स्पर्श याद कर मरकर भी
जी जाती।।
सांध्य-बेला है,ढलती उम्र की पहाड़ी पर खड़ी,
आज भी उस स्पर्श को याद कर जी लेती हूँ..
तुम्हारे साथ सभी बीते पल।।
#अनीता मिश्रा
परिचय : अनीता मिश्रा का जन्म स्थान बिहार है और आपकी शिक्षा बॉटनी से है। हिन्दी साहित्य के साथ ही भोजपुरी में भी लेखन करती हैं। किताबेंं पढ़ना,लिखना आपकी पसंद है। गरीबों की मदद करने के लिए आप कई संस्थाओं से जुड़ी हैं। कुछ साहित्यिक संस्थाओं में सदस्य और अध्यक्ष भी हैं। कई कविताएँ और साझा संकलन छप चुके हैं। सम्मान में साहित्य सागर सम्मान, सहोदरी सम्मान और श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान भी हासिल हुआ है। कई पत्र-पत्रिकाओं में कहानी,लेख,संस्मरण भी लिखती हैं। वर्तमान में हजारीबाग
(झारखंड)में बसी हुई हैं।