जैन धर्म के श्रावक सुन लो,
गुरु विद्यासागर जी की एक बात।
सत्य अहिंसा से बढ़कर कुछ नही होता है धर्म ।।
जो भी श्रावक धारण करते,
सत्य अहिंसा के पथ को।
मोक्ष का मार्ग उन्हें दिखता,
इस पथ पर चलते हुये।
सत्य अहिंसा से बढ़कर,
और कोई धर्म नही।
सुन लो जैन धर्म के श्रावक,
मुक्ति मिलेगी इस पथ से ही।।
चारो दिशाओं में घूमकर देखो।
जीवन का अर्थ समझ आएगा।
क्या खोया और क्या पाया,
तुमको समझ आ जायेगा।
सदा भाव तुम शुध्द रखो
मुक्ति का पथ दिख जाएगा।
मानव जन्म ये तेरा
मानो सफल हो जाएगा।।
धारण करते तपस्वी जीवन,
खुद के आत्म कल्याण को।
जिओ और जीने दो की, परिभाषा समझाते है
दुनियां को।
जैन धर्म के मार्ग पर चल कर,
समाधिमरण को पायेगा।।
और अहिंसा परमोधर्मा का संदेश,
दुनियां में छोड़ जाएगा।।
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।