ख़ुशी बहुत है आज हम सब को,
मना जो रहे है स्वंत्रता दिवस को।
पर मिली कैसे हमे ये आज़ादी,
जरा नजर तुम इतिहास पर डालो।।
न जाने कितनी मांओ की उजड़ गई गोदे ।
न जाने कितनी माँगे उजड़ा गई आज़ादी में ।
उठ गया सिर पर से साया कितने बच्चो के।
तब जाकर मिली है हम को ये आज़ादी।।
कितने वीर जवानो को हमने खो दिया।
भरी जवानी में उन्हें प्राण गमाना पड़ा ।
न देखा सुख उन्होंने इस आज़ादी का ।
जिसके लिए दे गए सभी अपनी कुर्बानियां।।
हम करते है सलाम उनके माँ बाप को।
जिन के पुत्रो पुत्रियों ने दिया बलिदान अपना।
हम करते है उन्हें अर्पण श्रध्दा के सुमन।
वो सदा रहेंगे जिन्दा हिन्दुस्तानियो के दिल में ।
जिन्होंने दिलाई हमें ये आज़ादी अंग्रेजो से।
स्वंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर हमारी कविता शहीदों को समर्पित है/ जिन्होंने हमें आज़ादी दिलाई /
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।