
धारण करती है सदा, जल थल का संसार।
जननी जैसे पालती, धरती जीवन धार।।
भूमि उर्वरा देश की, उपजे वीर सपूत।
भारत माँ सम्मान हित,हो कुर्बान अकूत।।
पृथ्वी, पर्यावरण की , रक्षा कर इन्सान।
बिगड़ेगा यदि संतुलन,जीवन खतरे जान।।
धरा हमारी मातु सम, हम है इसके लाल।
रीत निभे बलिदान की,चली पुरातन काल।।
भू पर भारत देश का, गौरव गुरू समान।
स्वर्ण पखेरू शान है,आन बान अरमान।।
रसा रसातल से उठा,भू का कर उपकार।
धारे रूप वराह का, ईश्वर ले अवतार।।
चूनर हरित वसुंधरा, फसल खेत खलिहान।
मेड़ मेड़ जब पेड़ हो, हँसता मिले किसान।।
वसुधा के शृंगार वन, जीवन प्राकृत वन्य।
पर्यावरण विकास से, मानव जीवन धन्य।।
अचला चलती है सदा, घुर्णन सें दिन रात।
रवि की करे परिक्रमा, लगे साल संज्ञात।।
क्षिति जल पावक अरु गगन,
. संगत मिले समीर।
जीव जीव में पाँच गुण,
. धारण, तजे शरीर।।
वारि इला पर साथ ही, प्राण वायु भरपूर।
इसीलिए जीवन यहाँ, सुन्दर प्राकृत नूर।।
नाम–बाबू लाल शर्मा
साहित्यिक उपनाम- बौहरा
जन्म स्थान – सिकन्दरा, दौसा(राज.)
वर्तमान पता- सिकन्दरा, दौसा (राज.)
राज्य- राजस्थान
शिक्षा-M.A, B.ED.
कार्यक्षेत्र- व.अध्यापक,राजकीय सेवा
सामाजिक क्षेत्र- बेटी बचाओ ..बेटी पढाओ अभियान,सामाजिक सुधार
लेखन विधा -कविता, कहानी,उपन्यास,दोहे
सम्मान-शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र मे पुरस्कृत
अन्य उपलब्धियाँ- स्वैच्छिक.. बेटी बचाओ.. बेटी पढाओ अभियान
लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः