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भर आए आँख आँसू,बलिदानी याद आए,
ऐसी एक कविता सुनाना चाहता हूँ मैं॥
सुखदेव,राजगुरु और भगतसिंह जी,
कैसे चढ़े फांसी,ये बताना चाहता हूँ मैं॥
रोज-रोज लड़ रहे हम सब आपस में,
ऐसे लोगों को अब जगाना चाहता हूँ मैं॥
देश में पनप रही आतंकवादी बेल जो,
उसे ढूँढ जड़ से मिटाना चाहता हूँ मैं॥
#विवेक चौहान
परिचय : विवेक चौहान का जन्म १९९४ में बाजपुर का है। आपकी शिक्षा डिप्लोमा इन मैकेनिकल है और प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी में नेपाल में ही कार्यरत हैं। बतौर सम्मान आपको साहित्य श्री,साहित्य गौरव,बालकृष्ण शर्मा बालेन्दु सम्मान सहित अन्य सम्मान भी मिले हैं। आपके सांझा काव्य संग्रह-साहित्य दर्पण,मन की बात,उत्कर्ष की ओर एवं उत्कर्ष काव्य संग्रह आदि हैं। आप मूल रुप से उत्तराखंड के शहर रूद्रपुर(जिला ऊधमसिंह नगर) में आ बसे हैं।
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