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माँ के प्यार का न है कोई जवाब !
न ही उसकी कोई कीमत न हिसाब !!
माँ पूर्ण शब्द है !
ग्रंथ है ,महाविद्यालय है !
यह मंत्र बीज है ,हर सृजनता का
आधार है “माँ “!!
जिसकी कोई उपमा न दी जा
सके उसका नाम है “माँ” !!
माँ की सागर जैसी गहराई को !
माँ की हिमालय से अधिक ऊंचाई को !!माँ की आकाश से अधिक असीमता को !
एवं धरती से भी अधिक ” माँ” की
सहनशीलता को
शत -शत नमन
#शशि मित्तलबतौली ,,सरगुजा (36गढ़)
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