बसे है दिन रात जो दिल में मेरे |
उनका नाम अब बताऊं मै कैसे ||
जो बिल्कुल बोलते नहीं है |
उनसे बात बताऊँ मै कैसे ||
चुरा ली नींद है रातो की जिसने |
उनका ख्वाब अब दिखाऊं मै कैसे ||
तडफा कर चल दिए मुझको |
उन्हें याद अब दिलाऊं मै कैसे ||
छोड़ कर चले गये जो राहो में |
उस राह पर अब जाऊं मै कैसे ||
बस गये है जो आँखों में मेरी |
यह काजल अब लगाऊं मै कैसे ||
बस गये है जो जहन मे मेरे |
उन पर गजल सुनाऊं मै कैसे ||
सलवटे पड़ गयी है चादर पर |
उस दास्ताँ को बताऊं मै कैसे ||
जानते है सब कुछ अनजान है |
हर बात उनसे छिपाऊ मै कैसे ||
आर के रस्तोगी
गुरुग्राम (हरियाणा)