हारे के सहारे आ जा,
तेरा भक्त पुकारे आ जा।
हम तो खड़े तेरे द्वार,
सुन ले करुणा की पुकार –२
आओ नाथ पार्श्वनाथ,
आओ नाथ पार्श्वनाथ।
आओ नाथ पार्श्वनाथ,
आओ नाथ पार्श्वनाथ।।
कोई सुनता नहीं,
अब में क्या करूँ।
दर्द दिल की दसा,
जाके किस से कहुँ।
तेरे होते मेरी हार,
कैसे करूँ स्वीकार, पार्श्वनाथ।
अब आके धीर बंधा जा।।
हम तो खड़े तेरे द्वार,
सुन ले करुणा की पुकार।
हारे के सहारे आ जा,
तेरा भक्त पुकारे आ जा।।
लाख कोशिश करूँ,
काम बनता नहीं, क्या करू।
बीच भवर में नैया,
आ फसी, क्या करूँ।
टूट गई पतवार, कैसे होगा
भव पार, पार्श्वनाथ।
अब आके पार करवा जा।।
हम तो खड़े तेरे द्वार,
सुन ले करुणा की पुकार।
हारे के सहारे आ जा,
तेरा भक्त पुकारे आ जा।।
आओ नाथ पार्श्वनाथ,
आओ नाथ पार्श्वनाथ।
आओ नाथ पार्श्वनाथ,
आओ नाथ पार्श्वनाथ।।
जय जिनेन्द्र देव की,
मोक्ष सप्तमी के अवसर पर आपको सभी को यह भजन समर्पित है।
सभी लोगो को मोक्ष सप्तमी की बहुत बहुत बधाई और शुभ कामनाएं
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।