जीवन में कभी,
लगता है यूँ ही..
कुछ कर्म कटें
कुछ बोझ हटे
शायद तब ही
लेती ज़िंदगी
आज़माइशें……।
कुछ उलझे पल,
कुछ बोझिल दिल…
कुछ थकता मन
यादें पल छिन
शख्सियत को
मुक्कमल करतीं
आज़माइशें……।
कोई अंत नहीं
दूजा पंथ नहीं.
न चैन कहीं
न विकल्प कोई
करतीं मन को
पर्वत-सा कठोर
आज़माइशें….।
अब थक-सा रहा,
कुछ निढाल हुआ..
सीमा के परे
जब तराशा गया
हीरा ही सही
कितना मांझें
आज़माइशें….।
उफ् ,
आज़माइशें……..।
#प्रियंका बाजपेयी
परिचय : बतौर लेखक श्रीमती प्रियंका बाजपेयी साहित्य जगत में काफी समय से सक्रिय हैं। वाराणसी (उ.प्र.) में 1974 में जन्मी हैं और आप इंदौर में ही निवासरत हैं। इंजीनियर की शिक्षा हासिल करके आप पारिवारिक कपड़ों के व्यापार (इंदौर ) में सहयोगी होने के साथ ही लेखन क्षेत्र में लयबद्ध और वर्ण पिरामिड कविताओं के जानी जाती हैं। हाइकू कविताएं, छंदबद्ध कविताएं,छंद मुक्त कविताएं लिखने के साथ ही कुछ लघु कहानियां एवं नाट्य रूपांतरण भी आपके नाम हैं। साहित्यिक पत्रिका एवं ब्लॉग में आपकी रचनाएं प्रकाशित होती हैं तो, संकलन ‘यादों का मानसरोवर’ एवं हाइकू संग्रह ‘मन के मोती’ की प्रकाशन प्रक्रिया जारी है। लेखनी से आपको राष्ट्रीय पुष्पेन्द्र कविता अलंकरण-2016 और अमृत सम्मान भी प्राप्त हुआ है।
Lajwab rachna didi priyanka….badhai ho…