बेवफाई का शौक उस बेदर्द का, कुछ इस कदर पला था!
छोड़कर आया था जिन राहों को, फिर उन्ही पर चला था!!
कभी मन भर गया था जिनसे, आज वही प्यारे हो गए!
चुभने लगे थे जो आंखों में, वही आँखों के तारे हो गए!!
जिनसे नही मिला सहारा, आज वो उनके सहारे हो गए!!
बहुत बड़ी थी ये भूल “मलिक” कि वो अब हमारे हो गए!!
यही था उनका दोगला सा रूप, जो बहुत हमें खला था!
छोड़ आया था जिन राहों को, फिर उन्ही पर चला था!!
वादे तो थे ही झूठे उसके, उसने कसमें भी झूठी खाई थी!
बड़ी धोखेबाज थी वो रुत, जो उसे मेरे पास खींच लाई थी!!
कांटो से भरी थी डगर, जो खुदगर्ज ने फूलों की बताई थी!
खुश थे वो वहां फिर, उनकी राहें मेरी तरफ क्यों आयी थी!!
दर्द भी बहुत दिए और, कितना उसने “अदब” से छला था..
छोड़ आया था जिन राहों को, फिर उन्ही पर चला था!!
#सुषमा मलिक “अदब”
परिचय : सुषमा मलिक की जन्मतिथि-२३ अक्टूबर १९८१ तथा जन्म स्थान-रोहतक (हरियाणा)है। आपका निवास रोहतक में ही शास्त्री नगर में है। एम.सी.ए. तक शिक्षित सुषमा मलिक अपने कार्यक्षेत्र में विद्यालय में प्रयोगशाला सहायक और एक संस्थान में लेखापाल भी हैं। सामाजिक क्षेत्र में कम्प्यूटर प्रयोगशाला संघ की महिला प्रदेशाध्यक्ष हैं। लेखन विधा-कविता,लेख और ग़ज़ल है। विविध अखबार और पत्रिकाओ में आपकी लेखनी आती रहती है। उत्तर प्रदेश की साहित्यिक संस्था ने सम्मान दिया है। आपके लेखन का उद्देश्य-अपनी आवाज से जनता को जागरूक करना है।