जन-जन झुलसे ताप से

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santosh

खूब आग बरसा रही,सूरज की ये ताप,
जन-जन झुलसे ताप से,बढ़ता अब संताप।

पतझड़ से हैरान हैं,पशु पक्षी भी आज,
ताल-तलैए सूख गए,पानी को मोहताज।

कपड़े तन पर चुभ रहे,सूती की दरकार,
गर्मी की भीषण जलन,करती अत्याचार।

सूरज सिर पर चढ़ गया,बिगड़ा क्यूं मिज़ाज़,
लाल-पीला वो हुआ,सहमा सकल समाज।

कूलर-एसी फ़ैल हुए,आमजन हैं हताश,
ठंडा पानी पी-पीकर,खूब बुझाई प्यास।

सड़कों पर सन्नाटा है,आए फल रसदार,
अमीर पीते रस हैं,है गरीब लाचार।

मजदूरी न छोड़ सका,है बेबस मजदूर,
गर्मी,वर्षा,ठण्ड में,करता काम जरुर।

रिक्शा वाले ढो रहे,खूब सवारी रोज,
गर्मी से है भूख बड़ी,ऐसी उनकी सोच।

जीवन है अस्त-व्यस्त,निकलें सुबह- शाम,
भरी दोपहरी में सब,करते हैं आराम।

अब मौसम के साथ ही,बदलता खान पान
हमें हमारी सजगता,दिलाती है निदान।

सिर पर गमछा बांध के,निकलें घर से आप,
लू-लपट से बचने को,रखें जेब में प्याज।

व्यर्थ कभी ना जाती,बुजुर्गों की सलाह,
सीख सदा ही मानिए,बिन कोई परवाह।

मौसम की मानिंद यहां,रंग बदलते लोग,
हर मौसम में हम सदा,रखते हैं ‘संतोष’

                                                                       #सन्तोष कुमार नेमा ‘संतोष’

परिचय : लेखन के क्षेत्र में सन्तोष कुमार नेमा ‘संतोष’ जबलपुर से ताल्लुक रखते हैं। आपका जन्म मध्यप्रदेश के सिवनी जिले के आदेगांव ग्राम में 1961 में हुआ है। आपके पिता देवीचरण नेमा(स्व.) ने माता जी पर कई भजन लिखें हैं, जिनका प्रकाशन भी हुआ है।1982 से डाक विभाग में सेवारत होकर आप प्रांतीय स्तर की ‘यूनियन वार्ता’ बुलेटिन का लगातार संपादन कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ में भी प्रांतीय सचिव चुने जाने पर छत्तीसगढ़ पोस्ट का भी संपादन लगातार किया है। राष्ट्रीय स्तर पर लगातार पदों पर आसीन रहे हैं।आपकी रचनाएँ स्थानीय समाचार पत्रों में प्रमुखता से छपती रही हैं। वर्त्तमान में पत्रिका के एक्सपोज कालम में लगातार प्रकाशन जारी है। आपको गुंजन कला सदन (जबलपुर) द्वारा काव्य प्रकाश अलंकरण से सम्मान्नित किया जा चुका है। विभिन्न सामाजिक संस्थाओं में भी आप सक्रिय हैं।आपको कविताएं,व्यंग्य तथा ग़ज़ल आदि लिखने में काफी रुचि है। आप ब्लॉग भी लिखते हैं। शीघ्र ही आपका पहला काब्य संग्रह प्रकाशित होने जा रहा है।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।