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गुरुदेव मेरे, गुरुदेव मेरे,
चरणों में अपने,
हमको बैठा लो।
सेवा में अपनी,
हमको लगा लो,
गुरुदेव मेरे, गुरुदेव मेरे।
मुझको अपने भक्तो की,
दो सेवादारी।
आयेंगे सत संघ सुनने ,
जो भी नर नारी।
मैं उनका सत्कार करूँगा,
वंदन बारम्बार करूँगा।।
गुरुदेव मेरे, गुरुदेव मेरे,
चरणों में अपने,
हमको बैठा लो।
मुझको अपने रंग में,
रंग लो तुम स्वामी।
मैं अज्ञानी मानव हूँ ,
तुम अन्तर्यामी।
मेरे अवगुण,
तुम बिसरा दो,
मन में प्रेम की,
ज्योत जला दो।।
गुरुदेव मेरे, गुरुदेव मेरे,
चरणों में अपने,
हमको बैठा लो।
सेवा में अपनी,
हमको लगा लो,
गुरुदेव मेरे, गुरुदेव मेरे।
गुरुदेव मेरे, गुरुदेव मेरे,
चरणों में अपने,
हमको बैठा लो।।
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।
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