बनो

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यह अचानक क्या हुआ? मुझ में ऐसी शक्ति कहां से आई? क्या मुझे भी मकड़ी ने काटा है? काटा है तो कब काटा है ? मुझे कुछ समझ में क्यों नहीं आ रहा है? अगर काटता तो दुकता ना ? लेकिन मैंने दर्द का अनुभव तो कभी नहीं किया। कहीं नहीं किया । फिर कैसे मैं स्पाइडर मान के सामान उड़ रहा हूं? मेरे हाथों से जाल कैसे निकल रहा है? अच्छा लग रहा है। मैं भी ताकतवर बन चुका हूं। एक तरफ से अच्छा ही हुआ । मैं सबसे पहले स्कूल पहुंच सकता हूं और स्कूल के छूटते ही सबसे पहले घर वापस आ सकता हूं। एक बार मुझे कोशिश करना पड़ेगा कि भारी वजन को लेकर मैं उड़ सकता हूं कि नहीं? अगर ऐसे कर सकता हूं तो अपने मम्मी पापा को उनके दफ्तर तक मैं खुद छोड़कर आऊंगा और वापस लाऊंगा । अपने सारे दोस्तों को इतना खुश रखूंगा कि वे कभी मुझसे दूर नहीं जा पाएंगे। सबको जहां चाहे ले जा सकता हूं जो कुछ चाहे चाहे कर सकता हूं। जिंदगी सब तरह से मजेदार होगी। कितना ताकत है मुझ में? एक बार क्यों ना मैं अभी कोशिश कर लूं ? उड़ने के प्रयत्न में था कि काट से धड़ाम से नीचे गिर पड़ा रक्षित। उसकी रक्षा के लिए दौड़ कर आई मां । रक्षित ने अपने स्पाइडर-मैन बन जाने की कहानी सुनाई। मां ने कहा- अरे! स्पाइडर-मैन एक काल्पनिक कहानी है। तुम उसे छोड़ो। पढ़ लिख कर परफेक्ट मैन बनो। रक्षित को राह मिल गया था।

आर. जे. संतोष कुमार, कोयंबतूर ,तमिलनाडु

परिचय-नाम: आर. जे. संतोष कुमार
साहित्यिक नाम: जेमि
जन्म स्थान: पालघाट, केरल
निवास स्थान: जन्म से तमिलनाडु

शैक्षिक योग्यता: एम. ए.,
(हिंदी) एम .ए.,(अंग्रेजी), एमबीए., एम जे एम सी(Master of Journalism Master of Communication)
एम. फिल(हिंदी) बी एड

संप्रति: पूर्व प्रधानाचार्य, महासचिव, शबरी शिक्षा संस्थान. शिक्षाविद, लेखक ,प्रवक्ता
संपादक- शबरी शिक्षा समाचार- हिंदी मासिका।
लेखन विधा: कविता, कहानी,लेख,नाटक, आलोचना, लघुकथा,यात्रा संस्मरण,अनुवाद, साक्षात्कार, संपादन।
भाषा ज्ञान: हिंदी ,तमिल, मलयालम ,संस्कृत , अंग्रेजी ,फ्रेंच तथा जर्मन।

प्रकाशित रचनाएं: हजारों कविताएं, हजारों कहानियां, सैकड़ों बालोपयोगी किताबें, तीन शब्दकोश, कविता संग्रह निबंध संग्रह, व्याकरण मालाएं तथा कुंजियां।

सम्मान: विक्रमशिला विद्यापीठ से विद्यासागर, महात्मा फुले संस्थान से भारत रत्ना डॉक्टर अंबेडकर सम्मान आदि के साथ उत्तर भारत के विभिन्न संस्थाओं से सम्मानित।
विशेष: उत्तराखंड, राजस्थान, गुजरात, उत्तर प्रदेश आदि प्रांतों के मुख्यमंत्रियों तथा माननीय नरेंद्र मोदी के सचिव से प्रशंसा पत्र।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।