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धीरे-धीरे फँस रहे,
अपने आजम खान..
कितना घोटाला किए,
पूछे हिन्दुस्तान।
पूछे हिन्दुस्तान,
यतीमों को दुतकारा..
छीन लिए तुम भूमि,
कफन का लिए सहारा।
कह सुरेश हे आजम,
चल ‘नैनी’ के तीरे..
टीपू काम ‘बोलता’
देखो धीरे-धीरे ।
#सुरेश मिश्र
परिचय : सुरेश मिश्र मुम्बई में रहते हैं। आप वर्तमान में हास्य कवि के रुप में कई मंचों से काव्य पाठ करने के अनुभवी हैं। कवि सम्मेलनों में मंच संचालन भी करते हैं।
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