समंदर कभी रोया नही करते

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diptesh tiwari

काँटे हों हजारों मंजिलों की राह पर,

यूँ घबराया नही करते,

और पुरुष जो वीर होते है ,

यूँ मुश्किलों में हारा नही करते,
न तेरे ,न मेरे यूँ वक्त तो नही किसी के हाथ में,
जब मील मौका तो लक्ष भेदा करो,

यूँ मौके बार-बार नही मिलते,

कर्मयोगी कर्म से साधता है पर्वतों ,चट्टानों को,
हाथ कि इन लकीरों के भरोसे बैठा नही करते,
और सफल हो कर भी सम्मान सब का करो,
क्योकि जुगनू कभी सूरज से अकड़ा नही करते,
यूँ तो तुमसे बड़े ,काबिल कोने में खड़े रहते है,
क्योकि वो कभी छोटों से प्रतिस्पर्धा नही करते,

गर दृढ होगया लक्ष तो हाथ से गांडीव छोड़ा नही करते,
और चल दिये जिस राह में फिर उसे मोड़ा नही करते,
यूँ तो माशूका से इश्क करता है जमाना
लेकिन पढ़ते समय होशियार दिल किसी से लगाया नही करते,

करोगे कुछ नया तो गिरोगे जरुर,
लेकिन हार माना नही करते,
गरजते है जो घुमड घुमड़ मेघ
वो अक्सर बरसा नही करते,
और मेहनत-ए-बे-दाम” में जियो जिंदगी
क्योकि समंदर कभी रोया नही करते,

# ️दिप्तेश तिवारी
परिचय
नाम:-दिप्तेश तिवारी
पिता :-श्री मिथिला प्रसाद तिवारी(पुलिस ऑफिसर)
माता:-श्रीमती कमला तिवारी (गृहणी)
शिक्षा दीक्षा:-अध्यनरत्न 12बी ,स्कूल:-मॉडल हायर सेकेंडरी स्कूल रीवा 
परमानेंट निवास:-सतना (म.प्र)
जन्म स्थल:-अरगट 
प्रकाशित रचनाए:-देश बनाएं,मैं पायल घुँगुरु की रस तान,हैवानियत,यारी,सहमी सी बिटिया,दोस्त,भारत की पहचान आदि।

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