आओ साथी सबको बचाएं निराकार इस दुश्मन से,
जो वर्षों से खेल रहा है अनमोलों के जीवन से।
भूल हुई तो भूलो उसको, करो न आगे ऐसी गलती,
जिसके करने से रुक जाए स्वर्ण पथ पर गाड़ी चलती।
यह कुगति सारथी कुल विनाशक असाध्य रोग है,
जिसे देता जन्म असुरक्षित यौन संभोग है।
एचआईवी/एड्स बना हुआ है विश्व में घातक,
मात-पिता की गलती से निर्दोष शिशु को लगता पातक।
इस शत्रु की जंगी सेना घूम रही लिए हाथ में झंडा,
हम अपनी गलती से दे देते हैं एक और अंडा।
रखो संयम करो वफादारी अपने जीवन साथी से,
उस दीपक की लौ को मिटा दो,जो जुड़ी हई एड्स बाती से।
संकल्प हमारा करें न गलती, स्वर्णिम हो जीवन के सपने,
एचआईवी से मुक्त रहें,खुशहाल रखें हम जीवन अपने।
परिचय : सुरेन्द्र सिंह राजावत राजस्थान के बयाना में रहते हैं। आप भारतीय सेना में कार्यरत हैं। आपको लिखने का शौक है तथा देशभक्ति पर अधिक कलम चलाते हैं,ताकि सबको देशप्रेम की प्रेरणा मिलती रहे।
बहुत बढ़िया कविता..