अपनी भी ख्वाबों की एक हसीन दुनिया होगी,
सफर में मिले हमसफर वो रंगीन दुनिया होगी।
जलाए बैठा हूँ आशा के दीप,सूने इस आंगन में,
रोशन हो जाए ये घर ऐसी संगीन दुनिया होगी।
तन्हा है जिंदगी,न साथी और न कोई दिलदार,
निभा दे जो साथ तन्हाई में, नवीन दुनिया होगी।
दिल की धड़कनें कहती है कि कोई तो आएगा,
बसा लूँ दिल के कोने में,बेहतरीन दुनिया होगी।
बहारों में, नजारों में ढलता रहता है रोज सूरज,
अंधेरों से होकर रोशनी में मुमकिन दुनिया होगी।
गर न भी मिला कोई तन्हाई में,तो भला क्या होगा,
जिंदगी और भी आसान और कठिन दुनिया होगी।
#मनीष कुमार ‘मुसाफिर’
परिचय : युवा कवि और लेखक के रुप में मनीष कुमार ‘मुसाफिर’ मध्यप्रदेश के महेश्वर (ईटावदी,जिला खरगोन) में बसते हैं।आप खास तौर से ग़ज़ल की रचना करते हैं।