Read Time2 Minute, 14 Second
मैं भूल जाती हूँ अक्सर औकात अपनी..
और भूल जाती हूँ कि गुज़रते वक़्त के साथ
बड़े हो गए हो तुम,और तुमसे भी बड़े हो गए हैं
ख़्वाब तुम्हारे..जिन्हें कभी मैंने ही
तुम्हारी आंखों में सजाया था….।
आज तुम्हारे और तुम्हारे ख्वाबों के बीच
मैं एक उपेक्षित-सी वस्तु हूँ…,
जिसके जज्बातों का कोई मोल नहीं,
खुदा करे तुम आसमान की ऊंचाइयों को छू लो,
और मैं ज़मीं से लगी देखती रहूँ तुम्हारी उड़ान को।
दुआओं में हर वक़्त यही तो मांगा है,
कब मांगा मैंने अपने लिए कुछ भी विधाता से,
मगर आज मांगती हूँ यही दुआ मैं कि,
वो तुम्हें सफलता की वो ऊंचाई दे…
जहाँ से मैं तुम्हें नज़र ना आऊं…
क्योंकि अब जान चुकी हूं मैं कि,
तुम दोनों के लिए मैं कोई इंसान नहीं
बल्कि,एक अनचाही वस्तु हूँ॥
#रश्मि अभय
परिचय : रश्मि अभय का पैतृक स्थान महाराजगंज(सीवान,बिहार) है।आपकी शिक्षा बीए,एलएलबी सहित बैचलर इन मास कम्युनिकेशन एंड जर्नलिज़्म है। संप्रति स्वतंत्र पत्रकार और लेखन की है। एक राजनीतिक पत्रिका की ब्यूरो चीफ हैं। समृद्धशाली उच्च मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मी ‘रश्मि’ को लिखने-पढ़ने का शौक बचपन से ही रहा,मगर इसे कार्यरूप में इन्होंने करीबन 10 साल पहले शुरू किया। प्रकाशित पुस्तकें-सूरज के छिपने तक,मेरी अनुभूति,उमाशंकर प्रसाद स्मृति ग्रंथ शब्द कलश'(साझा संग्रह,सहोदरी कथा सोपान (साझा संग्रह)एवं सौ कदम
(साझा संग्रह)आदि आपके लेखन के गवाह हैं। कुछ पुस्तकें भी आने वाली हैं। आप लेखन में ब्लॉग पर भी सक्रिय हैं और पटना(बिहार)में रहती हैं।
Post Views:
484
बेहद मर्मस्पर्शी लेखन