विभाजन की रेखाएँ

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rajesh sharma
     कुण्डलपुर गाँव में आज एक ही चर्चा थी सेठ धनपत राय के चारों बेटे ने अपना अपना हिस्सा ले लिया। सेठजी की धन दौलत मकान दुकान सोना चाँदी का आज बँटवारा हो गया। छोटे से लेकर बड़ों तक  गाँव के लोगों में बस एक ही चर्चा थी। नाई की दुकान पार मंदिरों की धर्मशालाओं में ,चौपालों पर सबके मुँह पर एक बात सेठजी ने आज अपने बेटों में बँटवारा कर दिया।
    सेठ जी के चारों बेटों ने अपने पिताजी से कहा पिताजी आपने सब कुछ हमे बराबर बराबर बाँट दिया है। अब हम सब सुख चैन से रहें इसके लिए हमारे इतने बड़े घर के भी चार हिस्सों को रेखाएं खींचकर  विभाजन करवा दीजिये।
    सेठ जी ने नोकरों को कह कर चारों बेटों के अलग अलग घर के बराबर बराबर हिस्से देकर विभाजन की रेखाएं खिंचवा दी।
सेठजी ने अब चैन की सांस ली।
   दिन खत्म हो गया। गोधूलि बेला आ गई। गाँव के बैल गाय भैंसे बकरी घर की ओर आने लगे।चारों भाई गंगाराम चैनाराम देवाराम सालगराम की धर्म पत्नियाँ सुशील शारदा रुक्मणी कृष्णा आज मन ही मन बहुत खुश हो रही थी। रोज रोज की लड़ाई झगड़े व मान मर्यादा में रहते रहते तग आ गई थी चारों बहुएँ। अब न जेठ की न सास ससुर की सेवा करना होगा। अब तो हम आज़ाद हो गई। पति परमेश्वर व मैं। ये सोचकर सभी अपने अपने कक्ष में प्रसन्न हो रही थी।
  चारों भाई व उनकी पत्नियाँ रिश्तों के बंधन से आज मुक्त हो गए।चारों एकल परिवार जश्न में डूबे थे। घर पर सभी के आज खुशी मनाने के लिए व्यंजन बने थे। इधर सेठजी जी व सेठानी द्वारकी जी के आंखों से आँसू बह रहे थे। सेठ जी सेठानी जी से रोते  रोते कहने लगे देखा तुमने आज हमारे दिल के टुकड़े काँच के टुकड़ों की तरह बिखर गए। कितने वर्षों से एक साथ एह रहे थे। सारा गांव हमारे घर के उदाहरण देते थे। एकता देखनी हो तो सेठजी के घर को देखो।
    आज हमारे घर की उस एकता को ग्रहण लग गया द्वारकी जी। विभाजन की रेखाएं खींच गई। जो दिलों में दीवार का काम कर देगी।
   मेरा जी घबरा रहा द्वारकी। बस ये कहा ही था कि सेठ जी धनपतराय का शरीर पंचतत्व में विलीन हो गया। चारों बेटों को पता चला तो फुट फुट कर रोने लगे पिताजी आप हमें छोड़कर कहाँ चल दिये।
    सेठजी की अंत्येष्टि में आये उनके मित्र लक्ष्मीचन्द ने उन चारों  बेटों को  पास बुलाकर समझाया तुम्हारे पिताजी के अंत का ये विभाजन की रेखाएँ है। सेठजी नेक दिल इंसान थे। तुम्हारे बंटवारे से वे बहुत दुखी थे।
आज घर घर विभाजन की रेखाएं खींच रही है ये ही बुजुर्गों के असमय मौत का कारण है बेटों।
#राजेश कुमार शर्मा ‘पुरोहित’
परिचय: राजेश कुमार शर्मा ‘पुरोहित’ की जन्मतिथि-५ अगस्त १९७० तथा जन्म स्थान-ओसाव(जिला झालावाड़) है। आप राज्य राजस्थान के भवानीमंडी शहर में रहते हैं। हिन्दी में स्नातकोत्तर किया है और पेशे से शिक्षक(सूलिया)हैं। विधा-गद्य व पद्य दोनों ही है। प्रकाशन में काव्य संकलन आपके नाम है तो,करीब ५० से अधिक साहित्यिक संस्थाओं द्वारा आपको सम्मानित किया जा चुका है। अन्य उपलब्धियों में नशा मुक्ति,जीवदया, पशु कल्याण पखवाड़ों का आयोजन, शाकाहार का प्रचार करने के साथ ही सैकड़ों लोगों को नशामुक्त किया है। आपकी कलम का उद्देश्य-देशसेवा,समाज सुधार तथा सरकारी योजनाओं का प्रचार करना है।

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आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।