जगन्नाथ जी की रथ यात्रा

0 0
Read Time6 Minute, 33 Second

gulab

रथ यात्रा विश्व की प्रसिद्ध और प्रधान यात्रा हे, रथ यात्रा पूरी और अहमदाबाद में आशाढ़ शुक्ल द्वितीया को होती है, श्री जगन्नाथ, सुभद्रा को स्नान करावकार रथ मे बिठाकर बड़े समारोह के साथ जनकपुर और विश्राम वाटिका की ओर जाते हैं, ટીમો देवता सुन्दर गहना पहने ठाठ बाट के साथ रथपर लाकर बिठाए जाते हैं, पूरी के ठाकुर राजा, हाथी, घोड़ा पालखी आदि आसवबो के साथ वहा आते हैं रथ से दूर पर सवारी से उतरकर पैदल से रथ के समीप आते हैं, तीनो रथ के ऊपर सुवर्णा जाडू से अपने हाथो वहार्ते है, पूजा करने के बाद सबसे पहले तीनो रथो का बड़े प्रेम और उत्साह के साथ यात्री लोग खींचते हैं, जनक पुर पहुचने पर कच्ची रसोई का भोग लगाया जाता है, चौथे दिन लक्ष्मी जी बड़े समारोह के साथ साथ साज बाज कर अपने स्वामी के दर्शन के लिए आती है, उस तिथि को हेरा पंचमी कहते हैं जन्म स्थान पर जाकर सात दिन रहकर फिर अपने रत्न सिंहासन पर दशमी के दिन उसी रथ पर लौट आते हैं, उसे वहुडा यात्रा कहते हैं,बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहते हैं और दर्शन करके धन्यता महसूस करते हैं, हर साल रथ के पैए नयी लकड़ी से बनाया जाता है, पूरी यात्रा एक सुखद अनुभव है, भगवान जगन्नाथ मंदिर से लेकर रथ यात्रा पूरी शहर में विभिन्न स्थानों पर जाती है, बहुत उत्साह के साथ यह उत्सव मनाया जाता है,
  अहमदाबाद में भी उसी तरह रथ यात्रा निकलती है, जमालपुर साबरमती नदी के किनारे स्थित जगन्नाथ मंदिर से जल्दी सुबह मुख्य मंत्री के हाथो पूजा करवा कर रथ को लोग खींचकर आगे बढ़ाते हुए पूरे शहर में घुमाते हैं, दोपहर में सरसपुर जो भगवान का ननिहाल माना जाता है वहा पहुचते ही विश्राम होता है लोग प्रसाद भोजन के रूपमे खाते हैं, सरसपुर में भगवान जगन्नाथ और सुभद्रा जी को सोने के गहने कारियावार के रूप में दिए जाते हैं, भगवान को कारियावार देने के लिए लंबी लाइन लगी है, 13 साल बाद बारी आती है, पहले से अपना नाम दर्ज कराना होता है, वहा से निकलकर रथ यात्रा निज मंदिर की ओर बढ़ती है, अहमदाबाद में जब रथ यात्रा निकाले तब कुछ न कुछ दंगा फसाद होता था लेकिन जबसे भारतीय जनता पार्टी की सरकार आई है तब से रथ यात्रा के दौरान कोई बबाल नहीं हुआ है, इससे पहले लोग रथ यात्रा मे दर्शन के लिए जाते हुए डरते थे और जल्दी से वापस आ जाते, लेकिन अब माहोल बदल गया है, रथ यात्रा मे विभिन्न अखाड़े भी हिस्सा लेते हैं, अपनी कला को प्रदर्शित करते हैं, मुख्य मंत्री मेघानी नगर के अखाड़े के पहलवान मंगलदस को इनाम देकर प्रोत्‍साहित करते हुए मेने देखा है, उसमे धार्मिक संस्था ए और ऎसे अखाड़े के साधु और युवक मंडल अपनी टीम के साथ जुड़ते हैं, यात्रा के दौरान मूंग और ककड़ी का प्रसाद दिया जाता है, पुलिस की जिम्मेवारी बढ़ जाती है, रथ यात्रा के पहले दिन ही वो अपनी ड्यूटी समाल लेते हैं और जब रथ यात्रा पूरी होती है तब शांति का अनुभव करते हैं, भगवान जगन्नाथ की यात्रा का पूरा विवरण टीवी चैनल के माध्‍यम से लोगो को दिखाया जाता है,
  भगवान जगन्नाथ के चरणों में सिर झुकाकर वंदन…..

#गुलाबचन्द पटेल

परिचय : गांधी नगर निवासी गुलाबचन्द पटेल की पहचान कवि,लेखक और अनुवादक के साथ ही गुजरात में नशा मुक्ति अभियान के प्रणेता की भी है। हरि कृपा काव्य संग्रह हिन्दी और गुजराती भाषा में प्रकाशित हुआ है तो,’मौत का मुकाबला’ अनुवादित किया है। आपकी कहानियाँ अनुवादित होने के साथ ही प्रकाशन की प्रक्रिया में है। हिन्दी साहित्य सम्मेलन(प्रयाग)की ओर से हिन्दी साहित्य सम्मेलन में मुंबई,नागपुर और शिलांग में आलेख प्रस्तुत किया है। आपने शिक्षा का माध्यम मातृभाषा एवं राष्ट्रीय विकास में हिन्दी साहित्य की भूमिका विषय पर आलेख भी प्रस्तुत किया है। केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय और केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय(दिल्ली)द्वारा आयोजित हिन्दी नव लेखक शिविरों में दार्जिलिंग,पुणे,केरल,हरिद्वार और हैदराबाद में हिस्सा लिया है। हिन्दी के साथ ही आपका गुजराती लेखन भी जारी है। नशा मुक्ति अभियान के लिए गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी दवारा भी आपको सम्मानित किया जा चुका है तो,गुजरात की राज्यपाल डॉ. कमला बेनीवाल ने ‘धरती रत्न’ सम्मान दिया है। गुजराती में‘चलो व्‍यसन मुक्‍त स्कूल एवं कॉलेज का निर्माण करें’ सहित व्‍यसन मुक्ति के लिए काफी लिखा है।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

पहाड़ पर युवाओं ने निकाला जल संकट का समाधान, चाल खाल बनाकर की पानी की स्टोरेज

Wed Jul 3 , 2019
असम्भव कुछ भी नही यदि कुछ कर गुजरने का जज्बा हो,पहाड़ पर पानी रोकने की बात सोचना ही कठिन बात है लेकिन यदि इसे साकार कर दिया जाए तो क्या ही कहने,जी हां पहाड़ के कुछ युवाओं ने पहाड़ पर वर्षा या फिर बहकर आ रहे पानी को रोकने के […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।