मेरी प्रतिष्ठा

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prema
मेरी भी मनोकामना पूर्ण होती जब
बेटी मेरे आंगन हँसती खेलती
उसके जन्मदिन पर मैं हर्षित होती
घर तोरण से सजातीगुब्बारे बांधती खुशियां लुटाती।
अठखेलियां करती बेटी के चेहरे पर
मैं अपनी प्रतिष्ठा के क्षण ढूंढती ।
उसकी झील से आँखों में ही
मैं अपनी दुनिया का सौभाग्य देखती ।
उफ ! बेटी हुई , यह  सुनकर ही
आहे भरतर लोगों से अभिमान  से आँखें मिलाती ।
बेटा या बेटी के अंतर को खत्म करती
मेरी कुल का चिराग मेरी बेटी ही होती
बेटी को वस्तु मानकर दहेज़ के लोभियो की प्रतिष्ठा चकनाचूर करती
मैंने बेटी के गौरव को अंतस्थल ठाना हैं
कमजोर न बनूँगी , व्यवस्था को ही बदलूँगी ।
अब मेरे लिए यही प्रतिष्ठा कि
मेरे घर की चिराग मेरी बेटी ही बनेगी
तब स्वाभिमान से बेटी की माँ का गौरव पाती
भावनाओं में सही बेटी की माँ होती
समाज को हर्षित करती प्रतिष्टित होती
तब मेरा सपना साकार होता जब मैं बेटी की माँ होती
#प्रेमा नडुविनमनि
धारवाड़ (कर्नाटक)
परिचय-
वरिष्ठ साहित्यकार “श्रीमती प्रेमा नडुविनमनि” जी का  “प्रेमा “, इनके पति का नाम श्री डॉ मल्लेश नडुविनमनि है पेशे से अध्यापिका है इन्होंने एम.ए.बी.एड (हिन्दी भाषा में मानस गंगोत्री, मैसूरु विश्वविद्याल) डिप्लोमा इन क्राफ्ट एवं ड्राइंग कम्प्यूटर शिक्षा आफिस मैनेजमेंट  तक की शिक्षा प्राप्त की है ।
लगभग 17 वर्षों से अनेक संघ-संस्थाओं में बतौर शिक्षिका व व्याख्याता सेवारत है ।
बेलगावी में शारदा किंडर गार्डन स्कूल की संस्थापक हैं ।
बेलगावी जिले के जमींदार श्री संगप्पा मल्लप्पा श्रीगारी तथा मां कमला की बढ़ी बेटी के तौर पर 1974 में इनका जन्म हुआ है ।
पेशे से बतौर शिक्षिका कई संघ-संस्थाओं के स्कूल-कालेजों में कार्य किया है।
आदतन साहित्यकार, साहित्य के विभिन्न प्रकार जैसे कविता, कहानियां, मुहावरे, नाटक, फिल्मी कहानियों को लिखने में माहिर हैं ।
इतना ही नहीं रंगमंच में कई सेवा की है। अनेक नाटकों का निर्देशन करने के साथ खुद भी उनमें अभिनय किया है।
 कलात्मक फिल्म रमाबाई में अभिनय के अलावा जानेमाने अभिनेता चेतन की नूरोंदु नेनपु फिल्म में माँ का किरदार निभाया है। 
ये बहुमुख प्रतिभा की धनी हैं, इन्होंने चित्रकला में भी कुशलता पाई है
प्रेमा जी की प्रकाशित पुस्तकें :- 
-मेरे प्रेम का सजन 2013 में
-कण्णोळगे कुळित चेलुव ( आँखों में बसे प्रिय ) 2014 में
-कन्नड़क्कागी संगठनेगलु लघु पुस्तिका 2014
-कम्बनी कथासंकलन 2016 में
लेखन
माँ ,महिलाएँ सुरक्षित रहे, शिक्षकों का पात्र,माँ तुझे सलाम,कन्नड़ द कहळे ,इत्यादि
निर्देशित नाटक
बच्चों के नाटकों की रचना व निर्देशन कित्तूर रानी चेन्नम्मा, लव-कुश, एकलव्य, अंधोरी नगरी चौपटराजा, गुरु शिष्य आदि
पुरस्कार
– 2012 में सेवा के लिए पंडित बसवराज मनसूर राष्ट्रीय साहित्य पुरस्कार
– 2012 में विश्व कन्नड़ बळग हुब्बल्ली की ओर से श्रेष्ठ शिक्षिका का पुरस्कार देकर सम्मानित किया।
– 2014 में 59वें कर्नाटक राज्योत्सव के उपलक्ष्य में कर्नाटक विद्यावर्धक संघ की ओर से आयोजित 15 दिवसीय नाटकोत्सव के दौरान कन्नड़ रंगमंच के लिए रंगकला सेवा देने तथा सेवा करने के उपलक्ष्य में प्रेमाजी को रंग कला सम्मान से सम्मानित किया गया।
– पूर्वोत्तर हिन्दी अकादमी द्वारा आयोजित राष्ट्रीय हिन्दी विकास सम्मेलन शिलांग ( मेघालय )2017 में
प्रेमा जी को डा. महाराज कृष्ण जैन स्मृति सम्मान से सम्मानित किया गया ।
सखी साहित्य परिवार द्वारा आयोजित * सखी महोत्सव – 2018 * कार्यक्रम में गुवाहाटी  (असम) में प्रेमाजी को ” विशिष्ट काव्य सम्मान ” से सम्मानित किया गया ।

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