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भूलने को तो बहुत सी बातें भूल जाती हूँ मैं
मगर जो भूलना चाहती हूँ वो क्यू याद आते है।
कुछ लोग बिछङ कर भी साथ साथ होते है।
कुछ साथ हो कर भी क्यू बिछङ जाते है।
हमसफर ,हमराह ,हमजुबाँ तो मिल जाते हैं
हमख्याल, हमनवाँ ही क्यू दिल को भाते हैं।
सजाये रखते हैं हम जिनको दिल के कूचे मे
हम आखिर उनके दिल तक क्यू नही जा पाते हैं।
दहशत पसरी है हर बस्ती में खौफ है हर तरफ
गर हम आदमी हैं तो इंसान क्यू नही बन पाते।
#सुरिंदर कौर
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