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“कौन कहता है आसमाँ में सुराख हो नहीं सकता,जरा तबियत से पत्थर तो उछालो यारो”,उसने शे’र सुन रखा था,मन मे आया,मैं ग़रीब का बेटा हूँ,इससे क्या हुआ।प्रयास से कुछ भी प्राप्त हो सकता है,शिक्षा का उजियारा भाग्य बदल सकता है।
हम जमकर पढ़ाई करेंगे और अंतरिक्ष विज्ञान का अध्ययन कर अभियंता बनेंगे और चाँद का सफ़र कर एक दिन चाँद तोड़ लाएँगे।
आखिर ऐसा हुआ भी और उसने ठान लिया तो राह खुलती गई, ऐसा कहा गया है..”जहाँ चाह वहाँ राह” हिम्मते मर्दां मदते ख़ुदा”,और वह दिन आ ही गया जब उसे अंतरिक्ष और चाँद में जाने वाले वैज्ञानिक समूह मे शामिल किया गया।इस प्रकार उसकी चाँद तोड़ लाने की इच्छा पूरी हुई और वह मन ही मन यह विचार कर प्रशन्न हुआ कि बड़े मन से किसी भी प्रकार की सफलता प्राप्त हो सकती,जिसका वह ज्वलंत उदाहरण है।
#प्रदीपमणि तिवारी ‘ध्रुवभोपाली’
परिचय: भोपाल निवासी प्रदीपमणि तिवारी लेखन क्षेत्र में ‘ध्रुवभोपाली’ के नाम से पहचाने जाते हैं। वैसे आप मूल निवासी-चुरहट(जिला सीधी,म.प्र.) के हैं,पर वर्तमान में कोलार सिंचाई कालोनी,लिंक रोड क्र.3 पर बसे हुए हैं।आपकी शिक्षा कला स्नातक है तथा आजीविका के तौर पर मध्यप्रदेश राज्य मंत्रालय(सचिवालय) में कार्यरत हैं। गद्य व पद्य में समान अधिकार से लेखन दक्षता है तो अनेक पत्र-पत्रिकाओं में समय-समय पर प्रकाशित होते हैं। साथ ही आकाशवाणी/दूरदर्शन के अनुबंधित कलाकार हैं,तथा रचनाओं का नियमित प्रसारण होता है। अब तक चार पुस्तकें जयपुर से प्रकाशित(आदिवासी सभ्यता पर एक,बाल साहित्य/(अध्ययन व परीक्षा पर तीन) हो गई है। यात्रा एवं सम्मान देखें तो,अनेक साहित्यिक यात्रा देश भर में की हैं।विभिन्न अंतरराज्यीय संस्थाओं ने आपको सम्मानित किया है। इसके अतिरिक्त इंडो नेपाल साहित्यकार सम्मेलन खटीमा में भागीदारी,दसवें विश्व हिन्दी सम्मेलन में भी भागीदारी की है। आप मध्यप्रदेश में कई साहित्यिक संस्थाओं से जुड़े हुए हैं।साहित्य-कला के लिए अनेक संस्थाओं द्वारा अभिनंदन किया गया है।
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