ज्ञान और ज्ञानियों की क्रांति

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amit sahu
जैसा कि,हम सभी जानते हैं हमारी भूमि (भारत देश)ऋषि मुनियों,ज्ञानियों,योगियों आदि की तपो भूमि रही है। कहा जाता है कि,`कण-कण में भगवान बसते हैं`,ये बात कितनी सही है,पता नहीं। वैसे अगर परमाणुवाद की दृष्टि के सिध्दान्त से देखा जाए तो यह बात सत्य है-कण-कण में भगवान है और ऐसे ही ज्ञान।ठीक इसी प्रकार अगर ज्ञान की बात की जाए,तो हमारे पवित्र देश भारत की गली-गली,मोहल्ले-मोहल्ले,गांव-गांव,बस्ती-बस्ती  तथा शहर-शहर में ज्ञान बसता है,ज्ञान की धाराएं बहती हैं हमारे देश मेंl तात्पर्य है कि,हर नुक्कड़ पर आपको ज्ञानी जन मिल जाएंगे और आपको बिना किसी शुल्क के ज्ञानयुक्त बातें बताएंगे।
कुछ वैसे ही जिस प्रकार से हमारे देश में नदियां बहती हैं और सभी लाभान्वित होते रहे हैं,उसी प्रकार से ज्ञान बहता रहा है, सदियों से बहता है और बहता रहेगा। ये अलग बात है कि,लोग  उस ज्ञान को कितना आत्मसात करते हैं-कितना अपने जीवन में उतारते हैं।
भगवान महावीर स्वामी ने कहा था कि-`जितना भी ज्ञान है,ज्ञान की बातें हैं सब कही जा चुकी हैं,बस जरुरत है तो उन्हें अपनाने की।` और सबसे महत्वपूर्ण बात भी यही है `ज्ञान को धारण करनाl` यदि आपका नजरिया हो तो,ज्ञान तो हर जगह बिखरा पड़ा है आसमान में तारों की भांति प्रकृति के हर रूप में। इस ज्ञान से बात याद आई कि,जब से सोशल माध्यम(मीडिया)में `व्हाट्सएप` का जन्म हुआ है तो कहना ही क्या ? जिसे देखो,वही ज्ञान बघार रहा है। इस माध्यम से तो ज्ञान के क्षेत्र में एक और नई क्रांति आ गई हैl जिस प्रकार से हमारे देश में संचार क्रांति,दुग्ध क्रांति,नील क्रांति,पीली क्रांति और न जाने कौन-कौन- सी क्रांति आई है,उसी तरह अब `व्हाट्सएप`  के आ जाने से हर व्यक्ति को अपना-अपना ज्ञान बांटने का एक सशक्त मंच मिल गया है। सुबह से शाम बस एक ही काम,इस पर ज्ञान देना हैl स्वयं कितना पालन करते हैं,पता नहीं है। कभी-कभी टो मुझे ऐसा लगता है,जैसे सबको ज्ञान देना उनका जन्मसिध्द अधिकार हो।
वैसे ज्ञान देना बुरी बात नहीं है,पर सबका समय होता है। हर वक्त जैसे आप भोजन नहीं कर सकते,वैसे ही आप हर वक्त ज्ञान नहीं ग्रहण कर सकते,पर लोग हैं कि,बस ज्ञान दिए जा रहे हैं-ये करो,वो नहीं,ऐसे करो-वैसे नहीं…।
एक उदाहरण जैसे,आपने अभियांत्रिकी कर रखी है,लेकिन अपना कोई व्यापार कर लिया तो जो ये ज्ञानीजन हैं(आपके रिश्तेदार या फिर पड़ोसी भी)वो उपदेश देने से नहीं चूकेंगेl आपसे तरह-तरह के प्रश्न पूछकर और ज्ञान देकर आपके दिमाग का बाजा बजा देंगे कि-जब तुम्हें व्यापार करना था तो अभियांत्रिकी क्यों की ? क्या जरुरत थी इतने रुपए फूंकने की,क्या सोचकर अभियांत्रिकी की थी ? अब उन्हें कौन समझाए कि-हमारा जीवन है,हम चाहे जैसे जिएं।
इन ज्ञानीजनों ने तो कभी परवाह न की होगी कि,हम कैसे हैं,इनकी मदद कर दी जाए,पर ज्ञान देने पहले आ जाएंगे। उन ज्ञानीजनों में मैं भी हूँ,आप भी हैं..तो ज्ञान बाँटते रहिए,पर समय- समय पर..l जिस तरह हर वक्त भोजन अच्छा नहीं लगता,उसी तरह से ज्ञान भी,क्योंकि जरुरत दोनों की ही है…।

#अमित साहू

परिचय : अमित साहू की जन्मतिथि-१० जून १९९४ और जन्म स्थान-सैनी हैl आपका निवास फिलहाल सैनी(कौशाम्बी)  स्थित जी.टी.रोड पर हैl सबसे बड़े राज्य-उत्तर प्रदेश के शहर-कौशाम्बी(इलाहाबाद) से ताल्लुक रखने वाले अमित साहू ने स्नातक की शिक्षा हासिल की है और कार्यक्षेत्र-निजी शाला में अध्यापक हैंl ब्लॉग पर भी लिखते रहते हैंl आपके लेखन का उद्देश्य-हिंदी का उत्थान और पहचान हैl 

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।