झाँसी वाली रानी

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आओ चलें अमर इतिहास के कुछ पन्ने पलटाते हैं,
आज हम झाँसी वाली रानी की अमर गाथा सुनाते हैं।

काशी के ब्राह्मण कुल में जन्मीं प्यारी मनु सुकुमारी थी,
बचपन से ही प्रिय खड्ग और अश्व की सवारी थी।

शौर्य और वीरता की झलकती अद्भुत कहानी थी,
खूब लड़ी अंग्रेजों संग वह तो झाँसी वाली रानी थी।

अस्त्रों, शस्त्रों, वेदों और पुराणों की वह ज्ञानी थी,
1857 की क्रांति में गोरों को भगाने की ठानी थी।

होकर अश्व सवार रानी ने जब तलवार उठायी थी,
रणक्षेत्र में अंग्रेजों की सेना घुटनों पर आयी थी।

माँ जगदम्बा और दुर्गा काली की वह अवतारी थी,
सुलग रही लक्ष्मी के मन में स्वतंत्रता की चिंगारी थी।

यमुना तट पर अंग्रेजों संग खूब लड़ी मर्दानी थी,
अंग्रेजों के मित्र राजाओं ने फिर छोड़ी राजधानी थी।

बल मिलता है नारियों को आपकी ही वीरता से,
आज भी प्रेरणा लेती दुनिया बस आपकी धीरता से।

मैं हूँ इक नूतन रचनाकार, लक्ष्मी आप हैं बड़ी महान,
कम पड़ जाते हैं शब्द, कैसे करूँ मैं आपका गुणगान।

लिखूँ मैं कितना? आपकी शौर्यगाथा है अविराम,
बस यहीं पर मैं देता हूँ अपनी लेखनी को विराम।

नवनीत शुक्ल (स० अ०)
फतेहपुर

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

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