याद आएगी

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sachin

चलेगी सांस जब तलक, वो मुझको याद आएगी,,,

करे कोशिश वो कितना भी, ना मुझको भूल पाएगी,,,
बिछङ कर आज तक उसकी, खबर कोई नहीं आई,,,
मैं महफिल में भी तन्हा हुं, बजी बेशक है शहनाई,,,
कभी मांगी दुआओं में, कभी सजदा किया मैंने,,,
जो हासिल है नहीं मुझको, लबों पे वही फरीयाद आएगी,,,
चलेगी सांस जब तलक, वो मुझको याद आएगी,,,
जो बातें थीं अधूरी सी, उन्हीं को सोचता हूँ मैं,,,
उसी इश्कन की चौखट पर, स्वयं को रोकता हूं मैं,,,
वो चिट्ठियां खत पुराने से, वो अक्षर धूंधले हुए मैले से,,,
पढू तो मन के कोनों से, यही आवाज़ आएगी,,,
चलेगी सांस जब तलक, वो मुझको याद आएगी,,,
जो निशानी दी थी उसने, वो कलम मेरे साथ रहती है,,,
मेरे गीतों में गजलों में, उसी की बात रहती है,,,
सुनेगी जब कभी मुझको, या बांचेगी किताबों में,,,
ये अल्हड़ है वही “राणा”, वो मुझको जान जाएगी,,,
चलेगी सांस जब तलक, वो मुझको याद आएगी,,,
करे कोशिश वो कितना भी, ना मुझको भूल पाएगी,,,
सचिन राणा हीरो 

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