#नीरज त्यागीग़ाज़ियाबाद ( उत्तर प्रदेश )
Read Time54 Second
धरती है तप्ती,प्यासे है पंछी,
आसमाँ की गोद भी सूनी है।
गर्म हवाओं से मुरझाए चेहरों
की आसमाँ से उम्मीद दूनी है।
धरती के हर प्राणी ने प्रभु से
बस एक ही आश बुनी है।
बरसे बादल जोर से कुछ ऐसे,
कि हर किसान की फसल
लगे,चली आकाश को छूनी है।
आँचल धरती का जो तुम हरा – भरा चाहते हो।
आलसपन छोड़ कर फिर पौधे क्यों ना लगाते हो।।
प्रयास करेंगे मिलकर सब तभी हरियाली आएगी।
कोई पंछी ना प्यासा होगा सबकी प्यास बुझ जाएगी।।
आओ ऐसे विश्व के निर्माण का प्रयास करते है।
हर माह एक पौधे को धरती की गोद मे बोते है।।
Average Rating
5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%
पसंदीदा साहित्य
-
January 8, 2019
प्यार के बारे में सोच सकते हैं
-
November 17, 2019
वो भी क्या दिन थे
-
August 9, 2018
नारी
-
June 6, 2018
आपकी नज़र
-
June 8, 2021
मातृभाषा द्वारा कोरोना सुरक्षा कवच वितरित