यादों को तेरी दिल से ऐसे मिटा रहे हैं,
लिख-लिख के नाम तेरा अपना बता रहे हैं।
ख़त भी जला के देखे,यादें गईं न दिल से,
तस्वीरें जो थीं तेरी, वो भी जला रहे हैं।
जिस दिल में याद ज़ालिम तेरी बसी है अब तक,
उस दिल में अपने हाथों नश्तर चुभा रहे हैं।
यारों का क्या भरोसा रुसवा तुझे न कर दें,
यह सोचकर के तेरी दुनियां से जा रहे हैं।
तीरे ज़फ़ा से घायल आशिक मिले हैं जो भी,
अपनी वफ़ा का वो सब मातम मना रहे हैं।
जाकर ज़रा-सा ‘राहत’ देखो तो मयकदे में,
कुछ लोग जलती यादें पीकर बुझा रहे हैं।
परिचय : सुभाष रावत का जन्म १९६१ में मुरादाबाद में हुआ है। आप यहीं के मूल निवासी हैं। शिक्षा मुरादाबाद से ही ली है। आप साहित्यिक योगदान में ग़ज़ल,क़ता, मुक्तक और गीत आदि रचते हैं। आपका साहित्यिक उपनाम ‘राहत बरेलवी’ है। देहली द्वारा आपको ‘ग़ज़ल रत्न’ सम्मान सहित रामपुर द्वारा ‘राष्ट्र सचेतक’ सम्मान और कई मंचों द्वारा प्रमाण-पत्र देकर सम्मानित किया गया है। ग़ज़ल कुंभ 2017(दिल्ली) में शामिल हुए हैं। हिन्दी साहित्य को बरेली जनपद के साहित्यकारों के साथ अनेक कवि गोष्ठियों में पहुँचाने में सक्रिय योगदान है। काव्योदय साँझा संग्रह, आगाज़-ए-शायरी के साँझा संग्रह में ग़ज़लों और राष्ट्रीय पत्रिकाओं में आपकी रचनाओं प्रकाशन होता है। वर्तमान में आप जलसन्धान मंत्रालय के केन्द्रीय भूजल विभाग में कार्यालय अधीक्षक के पद पर आसीन हैं।आप बरेली(उ.प्र.)में रहते हैं।