शिशिर सोमानी
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अगले 2 दिनों में आपसे ये सवाल जरूर पूछे जाएंगे
# 4 कीलों से ठोकें जाने पर ईसा को भगवान क्यों माने?
# ईसा का भारत से क्या संबंध है …?
# 25 दिसम्बर हम क्यों मनायें?
और
# क्यों लगायें क्रिसमस ट्री … ?
इनका जवाब एकदम रेडीमेड दे रहा हूँ,
देखा जाए तो हर त्यौहार का अपना एक महत्व होता है और हर त्यौहार के साथ किसी ना किसी की भावनाएं जुड़ी रहती है। ख़ासकर हमारे देश में तो लगभग हर महीने कोई ना कोई त्यौहार मनाया ही जाता है। वैसे तो त्यौहार खुशियाँ मनाने के लिए होते है पर कुछ लोग त्योहारों पर भी राजनीति करने से पीछे नहीं हटते।
पहले के समय में जो बाज़ार लगते थे उसमें लोगों की जरुरत की चीज़े मिलती थी लेकिन समय के साथ बदलते माहौल और सोशल मीडिया के आने से अब त्योहारों का बाज़ार होने लगा है। किसी भी उत्सव के पहले सोशल मीडिया पर पाए जाने वाले कई ज्ञानियों के संदेश आना शुरू हो जाते है और कुछ ज्ञानी तो बिना पड़े भी संदेश को इधर से उधर पहुँचा देते है। अब आप देखना की आने वाली 25 दिसंबर क्रिसमस के पहले भी सोशल मीडिया पर पाए जाने वाले कई ज्ञानियों के संदेश आने लग जाएंगे और उन संदेशों में कई तर्कहीन प्रश्नों की झड़ी भी लग जाएगी। हालांकि इन प्रश्नों से कोई बड़ा या छोटा नहीं हो जाता है पर उन ज्ञानियों को कौन समझाए कि कोई भी त्यौहार ख़ुशी ख़ुशी मनाया जाए तो ही बेहतर है ना की उस को लेकर कुछ बयानवाजी करके विवाद खड़ा किया जाए।
मार्केटिंग रिसर्च टीमें कई कई वर्षों तक लोगों की भावनाओं को, रिश्तों की नजदीकियों – दूरियों, का बाज़ार में कैसे इस्तेमाल किया जाए इस पर काम करके फॉर्मूले गढ़ती हैं और कई लोग उस फार्मूलें में उलझकर रह जाते है। साधारण सी बात है कि आपको त्यौहार मनाना है मनाओ, ना मनाना है मत मनाओ पर कम से कम तर्कहीन बातें करके लोगों की भावनाओं पर चोट तो मत करों। कई लोगों को अंदाजा नहीं है कि उनके द्वारा किए गए तर्कहीन प्रश्नों का बाज़ार पर तो असर होगा ही साथ ही स्वयं पर भी नकारात्मक असर होगा। कोई भी त्यौहार हो वो खुशियाँ मनाने का एक अवसर होता है भले ही वो किसी भी धर्म का हो और जब खुशियाँ मनाने का कोई भी अवसर मिलें तो उसे क्यों गवाया जाएं। क्यों ना हम इस तरह की छोटी मानसिकता से ऊपर उठकर हर त्योहारों का उत्सव मिलकर मनाए।
सोशल मीडिया पर आने वाले कई तरह के नकारात्मक संदेशों से किसी को फ़र्क पड़ता है तो किसी को नहीं। हम आपस में विवाद करते रहे इसमें सबकी रूचि है। हमारे आपस के विवाद के कारण कुछ ग़लत लोगों को उसका आनंद भी आता है अब हमें समझना होगा कि हम उन ग़लत लोगों के आनंद के लिए विवाद करें या फिर अच्छे लोगों के लिए विवाद ना करें। लेकिन जब तक हम समझ पाते हैं, बहुत बेशकीमती वक़्त और रिश्ते दांव पर लग चुके होते हैं। अधिकतर रिश्ते बिगड़ने का कारण हमारे शब्द ही होते है, क्योंकि बोले गए या लिखें गए शब्दों की पहुँच दिल तक होती है और फिर जो घाव दिल पर होते है वे आसानी से भरते भी नहीं। हमें यह भी समझना होगा कि हमारे क्रियाकलापों और हमारे शब्दों से ही हमारी छवि बनती है इसलिए क्यों ना हम अच्छे शब्दों का ही सहारा लें।
लेखक परिचय : शिशिर सोमानी अग्रणी जनसंपर्क संस्थान के प्रमुख कार्यकारी है। वे एक सम्प्रेषण प्रशिक्षक है, उद्यमिता के विचार और प्रचार – प्रसार का कार्य करने में सदैव तत्पर रहते है।