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पिता गर्व है अभिमान है,
नन्हे से बालक की पिता ही पहचान है।
पिता कर्तव्य की मूर्ति है
पिता रोटी है कपड़ा है मकान है।
पिता का त्याग दधीचि सा
पिता हमारे सुनहरे सपने की
मचान है।
पिता की आंखे सागर सा
उमड़ता एक तूफान है
पिता का कठोर सीना
छूपा प्रेम मूल्यवान है।
क्यों करें तुलना पिता की
पिता नही भगवान है।
पिता को समझा पिता बनकर
सच मे पिता हमारी आन बान है
पिता से ही मेरी पहचान है।।
#अविनाश तिवारीजांजगीर चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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