जब भी होने लगती है अंधेरों से दोस्ती,
माँ खोलती है आंखें और उजाला बन जाता है l
कमाल का जादू है माँ तेरे इस आंचल में,
छुप कर हर इन्सान इसमें बच्चा बन जाता है l
सजदे करते हैं सब लोग हमेशा खुदा के,
माँ की जुबां का शब्द उनका कलमा बन जाता है l
सजी हुई है दुनिया स्वाद के सब भंडारों से,
माँ के हाथों का सूखा टुकड़ा शाही पकवान बन जाता है l
कहते हैं लड़कियां माँ को बहुत प्रिय होती हैं,
काश मैं भी होता तेरी लड़की दिल सोचकर झूम जाता हैं l
लुटा देती है अपनी सब खुशियाँ माँ अपने बच्चो पर,
“हर्ष” फिर क्यों भाइयों के बीच माँ का बंटवारा हो जाता है ।
#प्रमोद कुमार “हर्ष”