राष्ट्रहित में योगदान-सिर्फ मतदान

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shivankit tiwari
भारत देश में लोकतंत्र का उत्सव बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है क्योंकि यह महापर्व पांच सालों में एक बार आता है। विशेषतया भारत देश जैसे सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में मतदान को लेकर एक अलग ही उत्साह और आतुरता लोगों में रहती है।
युवा वर्ग इस त्योहार को लेकर ज्यादा उत्साहित रहता है और इसकी तैयारियों को लेकर भी सजग और सक्रिय रहता है।
मतदान जागरूकता ले लिये जगह-जगह पर युवाओं के द्वारा मतदान जागरूकता अभियान चलाये जाते है,नारे लगाये जाते है एवं चित्रकला और विभिन्न कलाओं के मध्यम से लोगों में मतदान के प्रति अलख जगाई जाती है।
मतदान का पर्व सभी मान्यताओं से आगे उठकर सभी जात-पात के भेद को मिटाकर सभी समस्याओं को भूलकर मनाया जाता है।
जहाँ सभी एक बराबर तथा एकजुट होकर मतदान के लिये कतारबद्ध होकर मतदान करते है।
हमारे देश के सभी बड़े-बड़े राजनेता,फिल्म अभिनेता और बड़े-बड़े उद्योगपति भी कतार में सामान्य व्यक्तियों की तरह लगकर मतदान करते है और लोगों में मतदान के प्रति अलख जगाते है।
अगर हम सभी युवा इसी तरह लोगों को जागरूक करते है तो आने वाले अगले पाँच सालों में सभी व्यक्ति मतदान के लिये आगे आयेगे और बढ़-चढ़ कर मतदान करेगें।
 
मतदान लोकतंत्र में जन-भागीदारी का अवसर मात्र ही नहीं है, बल्कि देश की दशा-दिशा तय करने में आम आदमी के योगदान का भी परिचायक है।
अधिकतम मतदान के लिए माहौल बनाने की आवश्यकता इसलिए है, क्योंकि देश के कुछ हिस्सों में मतदान प्रतिशत अपेक्षा से कहीं कम होता है। विडंबना यह है कि आमतौर पर कम प्रतिशत महानगरों में अधिक देखने को मिलता है।
इसका कोई मतलब नहीं कि सरकारों अथवा राजनीतिक दलों के तौर-तरीकों की आलोचना तो बढ़-चढ़कर की जाए, लेकिन मतदान करने में उदासीनता दिखाई जाए। आमतौर पर मतदान न करने के पीछे यह तर्क अधिक सुनने को मिलता है कि मेरे अकेले के मत से क्या फर्क पड़ता है ?
एक तो यह तर्क सही नहीं, क्योंकि कई बार दो-चार मतों से भी हार-जीत होती है और दूसरे, अगर सभी यह सोचने लगें तो फिर लोकतंत्र कैसे सबल एवं सक्षम होगा ? इस दृष्टि से प्रधानमंत्री मोदी का अधिकतम मतदान को प्रोत्साहन देने का उपक्रम एवं आह्वान एक क्रांतिकारी शुरूआत कही जा सकती है। इसका स्वागत हम इस सोच और संकल्प के साथ करें कि हमें अपने मतदान से आगामी आम चुनाव में भ्रष्टाचार, राजनीतिक अपराधीकरण एवं राजनीतिक विसंगतियों पर नियंत्रण करना है।
हम सभी मिलकर और आगे आकर मतदान के प्रति लोगों में अलख जगायेगे और सभी युवा वर्ग के लोग सक्रिय रहकर मतदान करेगे तभी हमारा राष्ट्र उन्नति और मजबूत हो सकेगा।
“हमारा स्वाभिमान – केवल मतदान”
#शिवांकित तिवारी ‘शिवा’
परिचय–शिवांकित तिवारी का उपनाम ‘शिवा’ है। जन्म तारीख १ जनवरी १९९९ और जन्म स्थान-ग्राम-बिधुई खुर्द (जिला-सतना,म.प्र.)है। वर्तमान में जबलपुर (मध्यप्रदेश)में बसेरा है। मध्यप्रदेश के श्री तिवारी ने कक्षा १२वीं प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की है,और जबलपुर से आयुर्वेद चिकित्सक की पढ़ाई जारी है। विद्यार्थी के रुप में कार्यरत होकर सामाजिक गतिविधि के निमित्त कुछ मित्रों के साथ संस्था शुरू की है,जो गरीब बच्चों की पढ़ाई,प्रबंधन,असहायों को रोजगार के अवसर,गरीब बहनों के विवाह में सहयोग, बुजुर्गों को आश्रय स्थान एवं रखरखाव की जिम्मेदारी आदि कार्य में सक्रिय हैं। आपकी लेखन विधा मूलतः काव्य तथा लेख है,जबकि ग़ज़ल लेखन पर प्रयासरत हैं। भाषा ज्ञान हिन्दी का है,और यही इनका सर्वस्व है। प्रकाशन के अंतर्गत किताब का कार्य जारी है। शौकिया लेखक होकर हिन्दी से प्यार निभाने वाले शिवा की रचनाओं को कई क्षेत्रीय पत्र-पत्रिकाओं तथा ऑनलाइन पत्रिकाओं में भी स्थान मिला है। इनको प्राप्त सम्मान में-‘हिन्दी का भक्त’ सर्वोच्च सम्मान एवं ‘हिन्दुस्तान महान है’ प्रथम सम्मान प्रमुख है। यह ब्लॉग पर भी लिखते हैं। इनकी विशेष उपलब्धि-भारत भूमि में पैदा होकर माँ हिन्दी का आश्रय पाना ही है। शिवांकित तिवारी की लेखनी का उद्देश्य-बस हिन्दी को वैश्विक स्तर पर सर्वश्रेष्ठता की श्रेणी में पहला स्थान दिलाना एवं माँ हिन्दी को ही आराध्यता के साथ व्यक्त कराना है। इनके लिए प्रेरणा पुंज-माँ हिन्दी,माँ शारदे,और बड़े भाई पं. अभिलाष तिवारी है। इनकी विशेषज्ञता-प्रेरणास्पद वक्ता,युवा कवि,सूत्रधार और हास्य अभिनय में है। बात की जाए रुचि की तो,कविता,लेख,पत्र-पत्रिकाएँ पढ़ना, प्रेरणादायी व्याख्यान देना,कवि सम्मेलन में शामिल करना,और आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति पर ध्यान देना है।

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आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।