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नमन मंच
विषय जहां चाह वहां राह
जीवन तो है एक सफर
हमको चलना पड़ता हर राह पर,
जीत जाते हैं वो,
जिनके पास है अपूर्व उत्साह,
ठान लेते हैं वे,
तो जहां चाह , वहां राह
मुश्किल हो जाती आसान
जिसके हौसलों में है उड़ान।
मंजिल को वो पा ही लेते,
जो सोचते, जहां चाह वहां राह बना लेते।
संकटों से घबराते नहीं,
यूं ही हार मानते नहीं
कदमों में रहता उनके सारा जहां,
जो सोचते,जहां चाह वहां राह।
स्वरचित एवं मौलिक।
रेखा पारंगी
बिसलपुर पाली राजस्थान
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