उपभोक्ता दिवस(24 दिसम्बर) पर विशेष….
उपभोक्ताओं को सुझाव है कि,जब भी वे बाजार में खरीदारी करने जाएं तो दुकानदार की चिकनी-चुपड़ी बातों के भ्रमजाल में न फंसकर जो वस्तु आप खरीद रहे हैं उसको खरीदने से पहले उसकी गुणवत्ता की जांच कर लीजिए। जांच के लिए वस्तु की निर्माण कम्पनी का नाम, निर्माण तिथि,वस्तु का गुणवत्ता चिन्ह जैसे आईएसआई मार्का,हॉलमार्क आदि वस्तु पर स्पष्ट रूप से अंकित है या नहीं, यह जानना आवश्यक है। साथ ही वस्तु का अधिकतम खुदरा मूल्य क्या है ?, वस्तु पर जो मूल्य अंकित है वह कर सहित है या कर रहित, यह भी जान लीजिए,तभी वस्तु खरीदने की पहल करिए। जिस समय आप कोई वस्तु खरीद रहे हों तो जो मूल्य आपने चुकाया है उसकी रसीद और वस्तु की बाबत जो भी वारण्टी या गारन्टी कम्पनी की ओर से दी गई है,उसे दुकानदार की मोहर व हस्ताक्षर के साथ लेना न भूलें। आज उपभोक्ताओं को बहुत सजग रहने की जरूरत है। इसी प्रकार यदि आप कोई सेवा उसका मूल्य चुकाकर या मूल्य चुकाने का वायदा करके प्राप्त कर रहे हैं तो सेवा में लापरवाही या कमी होने पर प्रतिवाद किया जा सकता है। सेवा के क्षेत्र में रेल,बस,टैक्सी,बैंक,डाक विभाग,टेलीफोन,हवाई यात्रा, चिकित्सा सेवा,बिजली विभाग आदि अनेक सरकारी गैर सरकारी विभागों में ली गई सेवा में कमी पाए जाने पर पीड़ित उपभोक्ता,उपभोक्ता अदालत में परिवाद योजित कर सकता है। ऐसे ही खरीदी गई वस्तु के वारण्टी या गारन्टी अवधि में खराब हो जाने या उत्पादीय त्रुटि पाए जाने पर भी उपभोक्ता न्यायालय की शरण ली जा सकती है। सरल शब्दों में-वस्तु या सेवा में कमी होने पर वस्तु निर्माता,दुकानदार तथा सेवाप्रदाता के खिलाफ शिकायत का कारण उतपन्न होने के दो वर्ष के अंदर उपभोक्ता फोरम में वाद दायर किया जा सकता है। बीस लाख रुपए मूल्य के उपभोक्ता मामलों की सुनवाई जिला उपभोक्ता फोरम में तथा बीस लाख से एक करोड़ रुपए मूल्य की सुनवाई उपभोक्ता राज्य आयोग में की जा सकती है। एक करोड़ से अधिक के मामलो में राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग में वाद दायर हो सकता है। कम समय में न्याय मिलने का उपभोक्ता अदालत एक बड़ा मंच है,जिससे बड़ी संख्या में पीड़ित उपभोक्ताओं को न्याय प्राप्ति भी हो रही है।
उपभोक्ता अदालतों में एक न्यायाधीश अध्यक्ष के रुप में व दो सदस्य(एक स्त्री-एक पुरुष) के रुप में होते हैं,जिनमें से किन्हीं दो का होना अनिवार्य है,तभी उपभोक्ता अदालत चल सकती है। इस अदालत में तीन में से कोई दो की राय एक हो तो,वही निर्णय प्रभावी होता है।
#गोपाल नारसन
परिचय: गोपाल नारसन की जन्मतिथि-२८ मई १९६४ हैl आपका निवास जनपद हरिद्वार(उत्तराखंड राज्य) स्थित गणेशपुर रुड़की के गीतांजलि विहार में हैl आपने कला व विधि में स्नातक के साथ ही पत्रकारिता की शिक्षा भी ली है,तो डिप्लोमा,विद्या वाचस्पति मानद सहित विद्यासागर मानद भी हासिल है। वकालत आपका व्यवसाय है और राज्य उपभोक्ता आयोग से जुड़े हुए हैंl लेखन के चलते आपकी हिन्दी में प्रकाशित पुस्तकें १२-नया विकास,चैक पोस्ट, मीडिया को फांसी दो,प्रवास और तिनका-तिनका संघर्ष आदि हैंl कुछ किताबें प्रकाशन की प्रक्रिया में हैंl सेवाकार्य में ख़ास तौर से उपभोक्ताओं को जागरूक करने के लिए २५ वर्ष से उपभोक्ता जागरूकता अभियान जारी है,जिसके तहत विभिन्न शिक्षण संस्थाओं व विधिक सेवा प्राधिकरण के शिविरों में निःशुल्क रूप से उपभोक्ता कानून की जानकारी देते हैंl आपने चरित्र निर्माण शिविरों का वर्षों तक संचालन किया है तो,पत्रकारिता के माध्यम से सामाजिक कुरीतियों व अंधविश्वास के विरूद्ध लेखन के साथ-साथ साक्षरता,शिक्षा व समग्र विकास का चिंतन लेखन भी जारी हैl राज्य स्तर पर मास्टर खिलाड़ी के रुप में पैदल चाल में २००३ में स्वर्ण पदक विजेता,दौड़ में कांस्य पदक तथा नेशनल मास्टर एथलीट चैम्पियनशिप सहित नेशनल स्वीमिंग चैम्पियनशिप में भी भागीदारी रही है। श्री नारसन को सम्मान के रूप में राष्ट्रीय दलित साहित्य अकादमी द्वारा डॉ.आम्बेडकर नेशनल फैलोशिप,प्रेरक व्यक्तित्व सम्मान के साथ भी विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ भागलपुर(बिहार) द्वारा `भारत गौरव` सम्मान,पंचवटी हिन्दी साहित्य सेवा सम्मान और मानस श्री सम्मान आदि भी दिया गया हैl