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प्रेम-प्रीत की बात करें सब
असली प्रेम न जानें,
प्रेम के दो अक्षर लगते
देखो कितने सुहाने।
प्रेम की भाषा बालक समझे
और समझे मूक प्राणी,
प्रेम के भाव से बोली हुई
मीठी लगती है हर वाणी।
माँ का प्रेम तो अज़र-अमर है
पिता का स्नेह अनमोल है,
भाई-बहन और सखी-सहेली के
प्रेम का नहीं कोई मोल है।
मूक प्राणी भी समझता
प्रेम-प्यार की भाषा,
शिक्षक प्यार से पढ़ाए हमें
ये-हर छात्र की आशा।
प्रेम से सारे जग को प्यारे
हम जीत जाएंगे,
प्रेम की लाठी पकड़ हाथ में
हम,आगे बढ़ते जाएंगे।
आओ ! प्रेम के सुन्दर बाग़ को
मिठास से हम सब सींचें,
प्रेम-प्रीत की छाया के नीचे
हमारा जीवन बीते…।
हमारा जीवन बीते…॥
#अनुभा मुंजारे’अनुपमा’
परिचय : अनुभा मुंजारे बिना किसी लेखन प्रशिक्षण के लम्बे समय से साहित्यिक क्षेत्र में सक्रिय हैं। आपका साहित्यिक उपनाम ‘अनुपमा’,जन्म तारीख २० नवम्बर १९६६ और जन्म स्थान सीहोर(मध्यप्रदेश)है।
शिक्षा में एमए(अर्थशास्त्र)तथा बीएड करने के बाद अभिरुचि साहित्य सृजन, संगीत,समाजसेवा और धार्मिक में बढ़ी ,तो ऐतिहासिक पर्यटन स्थलों की सैर करना भी काफी पसंद है। महादेव को इष्टदेव मानकर ही आप राजनीति भी करती हैं। आपका निवास मध्यप्रदेश के बालाघाट में डॉ.राममनोहर लोहिया चौक है। समझदारी की उम्र से साहित्य सृजन का शौक रखने वाली अनुभा जी को संगीत से भी गहरा लगाव है। बालाघाट नगर पालिका परिषद् की पहली निर्वाचित महिला अध्यक्ष रह(दस वर्ष तक) चुकी हैं तो इनके पति बालाघाट जिले के प्रतिष्ठित राजनेता के रुप में तीन बार विधायक और एक बार सांसद रहे हैं। शाला तथा महाविद्यालय में अनेक साहित्यिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेकर विजेता बनी हैं। नगर पालिका अध्यक्ष रहते हुए नगर विकास के अच्छे कार्य कराने पर राज्य शासन से पुरस्कार के रूप में विदेश यात्रा के लिए चयनित हुई थीं। अभी तक २०० से ज्यादा रचनाओं का सृजन किया है,जिनमें से ५० रचनाओं का प्रकाशन विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में हो चुका है। लेखन की किसी भी विधा का ज्ञान नहीं होने पर आप मन के भावों को शब्दों का स्वरुप देने का प्रयास करती हैं।
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Sat Dec 9 , 2017
उम्मीदों और आशाओं का महल तैयार किया, पलकों पर अपनी सदैव नाज किया, लहलहा रही थी खुशियाँ इर्द-गिर्द अम्बर,गगन सब टकटकी लगाये देख रहे थे, सपनों की उड़ान हौंसलों में पंख लगा रही थी, हर सपना हर अपना हर जज्बा सब अपने हो रहे थे, जलाए थे जिसने उम्मीदों के […]