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*माँ की लोरी सुन सभी ,पल भर में सो जाय।*
*देख सुनहरे स्वप्न को,मंद मंद मुस्काय।।*
*माँ की ममता से मिली,हमको ये सौगात।*
*दिन तो सोना हो गये,चाँदी हो गइ रात।।*
*बिन माँ के बच्चे सभी,पाते दुख की खान।*
*ममता के आँचल तले,मिलता सकल जहान।।*
*माँ ने दुख को झेल के हमें दिये है खेल।*
*माँ की ममता का नहीं,कहीं आज भी मेल।।*
*माँ है तो भगवान है, माँ ही शक्ति महान।*
*माँ बिन जग की संपदा,लगती धूल समान।।*
*माँ की गोदी में मिला ,मन को चैन अपार।*
*चिंता कछु भी नहि रही ,स्वर्ग लगे संसार।।*
*माँ के हाथ कि रोटियाँ,व्यंजन से भरपूर।*
*खाई जिसने प्रेम से, रहा न माँ से दूर।।*
#सरिता सिंघई ‘कोहिनूर’
परिचय : श्रीमति सरिता सिंघई का उपनाम ‘कोहिनूर’ है। आपका उद्देश्य माँ शारदा की सेवा के ज़रिए राष्ट्र जन में चेतना का प्रसार करना है।उपलब्धि यही है कि,राष्ट्रीय मंच से काव्यपाठ किया है। शिक्षा एम.ए.(राजनीति शास्त्र) है। वर्तमान में मध्यप्रदेश के वारासिवनी बालाघाट में निवास है। जन्म स्थान नरसिंहपुर है। गीत,गज़ल,गीतिका,मुक्तक,दोहा,रोला,सोरठा,रुबाई,सवैया,चौपाईयाँ,कुंडलियाँ ,समस्त छंद,हाइकू,महिया सहित कहानी ,लेख,संस्मरण आदि लगभग समस्त साहित्य विद्या में आप लिखती हैं और कई प्रकाशित भी हैं। आपकी रूचि गायन के साथ ही लेखन,राजनीति, समाजसेवा, वाहन चालन,दुनिया को हंसाना,जी भर के खुद जीना,भारत में चल रही कुव्यवस्थाओं के प्रति चिंतन कर सार्थक दिशा देने में है। पूर्व पार्षद होने के नाते अब भी भाजापा में नगर मंत्री पद पर सक्रिय हैं। अन्य सामाजिक और साहित्यिक संगठनों से भी जुड़ी हुई हैं।
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