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प्यार का रंग अब चढ़ाने लगा है ।
दिल अब मेरा भी मचलने लगा है।
न जाने अब कब, मुलाकात होगी।
और हमारे प्यार की शुरुबात होगी ।।
दिल मेरा अब मचलने लगा है।
प्यार के लिए ,तड़फ ने लगा है /
दिल पर ज़ख़्म, इतने गहरे है /
की हम को, खुद मालूम नहीं ।
और खुदी पर, वार करते रहे //
लाश खुद बन गए, इस ख्याल से।
की वो, मेरे जनाजे पे आएंगे।
कम से कम दो, फूल तो चढ़ाएंगे।
अब इस से ज़्यादा उनके /
दीदार का इंतिज़ार क्या करे ?
आंखे थक गई है, अब इन्तेजार में ।
दिल पिघल गया है, तेरे प्यार में।
आकर एक घुट तो, अब पिला दो।
और दिल की ,बैचेनी को मिटा दो।।
मिलते हो जब, तो कहते हो ।
कि आज रहने दो।
दूर जब तुम होते हो, तो कहते हो ,
की कब जवा, दिलो को मिलवाओगे।
और जो लगी है, आग दिलो में /
उसे तुम कब बुझाओगे//
दो मचलते हुए, दिलो को कब /
प्यार मोहब्बत ,तुम सिखाओगे।।
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।
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